
पूरनपुर,पीलीभीत। जो सिर झुकाकर चरणों में बैठते थे, अब निगाहें चुराने लगे हैं।
जिसे ‘गुरु’ मानकर पूजते थे, वह निकला हरियाणा का 50 हजार का इनामी बदमाश।
नाम बदलकर बना ‘गुरु आशीष’, लेकिन असली नाम है – विभोर वत्रा, सेक्टर-4 पंचकूला का निवासी हैं। हरियाणा पुलिस ने जब पीलीभीत के 13 मील स्थित आश्रम पर दबिश दी, तब तक ये बाबा भेष बदलकर फरार हो गया है।
“चार साल से चल रहा था ‘आस्था’ का ढोंग”
करीब चार साल पहले विभोर वत्रा पीलीभीत के खारजा नहर और हरदोई ब्रांच के बीच एक आश्रम बनाकर रहने लगा। खुद को “गुरु आशीष” बताकर उसने आश्रम का नाम रखा – साक्षी फाउंडेशन श्री गुरु आशीष आश्रम। धीरे-धीरे बड़े अधिकारी, जनप्रतिनिधि और इलाके के रुतबेदार लोग उसके आगे नतमस्तक होने लगे।
वह नेताओं को टिकट दिलाने, अफसरों को स्थानांतरण कराने और साधुओं को ज्ञान देने वाला घोषित हो गया।
अब खुलासा हुआ है – ये सब सिर्फ एक परदे के पीछे का खेल था।
“अतीत में झांको – धोखाधड़ी, भगोड़ा और इनामी अपराधी!”
2014 में हरियाणा के पंचकूला में विभोर वत्रा पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ।
2015 में डीजीपी ने उस पर ₹50,000 का इनाम घोषित किया।
2016 में कोर्ट ने उसे स्थायी भगोड़ा करार दे दिया।
तब से लेकर अब तक वह फरार था… लेकिन धर्म का चोला पहनकर लोगों को ठगता रहा।
“नहर की रेत से आश्रम, पेड़ों का कटान और अफसरों की चुप्पी”
आश्रम की जमीन पर कब्जा जमाने के लिए बाबा ने नहर पटरी की करीब 3-4 फीट रेत खुदवा कर अपने आश्रम में डलवाई।
पेड़ों की जड़ें नंगी कर दी गईं। दर्जनों पेड़ काटे या सूख गए।
लेकिन किसी भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की।
क्यों ? क्या बाबा के पास कोई अदृश्य शक्ति थी, या फिर ‘साठगांठ’ की ताकत ?
“तालाब में मगरमच्छ, ज़मीन पर कब्जा – बाबा का नेटवर्क”
आश्रम के बगल में मौजूद सरकारी तालाब पर बाबा ने कब्जा किया और दो मगरमच्छ पाल लिए।
जब विरोध हुआ, तो उस हिस्से को ‘विकास क्षेत्र’ बताकर नया ड्रामा रचा गया।
नहर विभाग की जमीन तक निगलने की कोशिश की गई।
लेकिन अफसर अब भी चुप हैं।
सवाल ये है – क्या वो बाबा के भक्त थे या किसी और समीकरण के हिस्सेदार?
“हरियाणा पुलिस आई… लेकिन बहुत देर हो चुकी थी”
हरियाणा के पंचकूला पुलिस को सूचना मिली कि विभोर पीलीभीत में छिपा है।
पुलिस टीम ने स्थानीय अधिकारियों से संपर्क कर आश्रम पर दबिश दी —
लेकिन बाबा तब तक निकल चुका था। उसके साथ धोखाधड़ी केस में विशाल गर्ग का नाम भी जुड़ा है।
सीओ सिटी दीपक चतुर्वेदी ने बताया कि आरोपी गजरौला के पास एक और आश्रम चला रहा था।
पूरे नेटवर्क की जांच जारी है।