
दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां जेवर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी सहित कुल 12 पुलिस कर्मियों पर कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा फर्जी एनकाउंटर से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने मथुरा में बीटेक कर रहे छात्र का फर्जी एनकाउंटर किया और उसे घायल कर दिया।
क्या हुआ था?
मथुरा के कदम बिहार निवासी तरुण गौतम ने आरोप लगाया कि 4 सितंबर 2022 को दो बिना नंबर की कारें उनके घर आईं। इन कारों में बैठे लोगों ने उनसे उनके बेटे सोमेश गौतम के बारे में पूछा। जब उन्हें बताया गया कि उनका बेटा बीटेक कर रहा है और दिल्ली में कोचिंग के लिए गया है, तो आरोपियों ने उनसे मारपीट की और उन्हें गाड़ी में डालकर ले गए। बाद में यह लोग सोमेश को दिल्ली से ले गए और फिर जेवर थाने में लाकर उन्हें बैठा दिया। 6 सितंबर 2022 की रात, पुलिसकर्मियों ने सोमेश को गोली मार दी और उसका फर्जी एनकाउंटर दिखाते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके पास से बाइक और पिस्टल की बरामदगी भी दिखाई।
मुकदमा दर्ज होने के बाद क्या हुआ?
कोर्ट के आदेश पर इस मामले में जेवर कोतवाली के थाना अध्यक्ष सहित 6 दारोगा और 5 कांस्टेबल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी एनकाउंटर किया और छात्र सोमेश गौतम को घायल किया। इस मामले में पीड़िता के पिता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
अखिलेश यादव ने यूपी पुलिस को दी नसीहत
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया X पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “नोएडा में फर्जी एनकाउंटर में यूपी पुलिस के जिन 12 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ है, अब उन्हें बचाने के लिए न तो भाजपा सरकार आगे आएगी, न ही कोई भाजपाई।”
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “हमने हमेशा पुलिस को आगाह किया था कि जब पुलिसवाले हत्या के आरोपी बनेंगे, तो अपने परिवार, समाज और समुदाय को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। वे जेल चले जाएंगे, लेकिन उनके परिवार को अपमान झेलना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अब पुलिसवालों को उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि भाजपा उनका साथ देगी, क्योंकि भाजपा किसी की सगी नहीं है।
आगे की कार्रवाई
इस पूरे मामले में पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। यह मामला एक बड़े भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन का प्रतीक बनकर सामने आया है, जिसमें पुलिसकर्मियों की निंदा की जा रही है। अब यह देखना होगा कि न्यायालय इस मामले में क्या कदम उठाता है और दोषियों को सजा मिलती है या नहीं।