SSC परीक्षा में गड़बड़ी नहीं, साज़िश थी! अब असली चेहरा सामने

नई दिल्ली। हाल ही में देशभर में आयोजित होने वाली SSC (स्टाफ सिलेक्शन कमीशन) परीक्षाएं रद्द हो गईं या बाधित हुईं, जिससे लाखों छात्र हताश और नाराज़ हो गए। परीक्षा केंद्र बंद मिले, स्टाफ अनुपस्थित रहा और सोशल मीडिया पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया।

लेकिन अब सामने आ रही जानकारियों से साफ हो गया है कि यह कोई सामान्य अव्यवस्था नहीं थी, बल्कि पूर्व परीक्षा सेवा प्रदाता TCS (Tata Consultancy Services) द्वारा कथित रूप से रची गई कॉरपोरेट साज़िश थी।

TCS पर गड़बड़ी फैलाने के गंभीर आरोप

सूत्रों और एक लिखित शिकायत के अनुसार, TCS ने परीक्षा केंद्रों के कर्मचारियों को धन देकर प्रभावित किया। उन्हें निर्देशित किया गया कि वे परीक्षा केंद्र समय पर न खोलें, छात्रों को जानबूझकर देर से प्रवेश दें और पूरे देश में अव्यवस्था फैलाएं।

एक प्रमुख परीक्षा केंद्र प्रभारी ने अपने लेटरहेड पर लिखित शिकायत दी है कि उन्हें धमकी दी गई और कहा गया, “अगर तुम नहीं मानोगे तो दूसरे सेंटर से करवा लेंगे।” यह सामान्य गड़बड़ी नहीं, पूर्व नियोजित व्यवधान था।

TCS को इस साज़िश से क्या लाभ?

सरकार ने हाल ही में परीक्षा प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत कर पारदर्शी और छात्र-हितैषी बनाने की दिशा में कदम उठाया है। इससे एकल कंपनियों का वर्चस्व खत्म होने लगा है। TCS, जो पहले इस प्रक्रिया पर पूर्ण नियंत्रण रखता था, अपना ठेका खो चुका है। सूत्रों का मानना है कि यह साज़िश इस नई प्रणाली को असफल दिखाने की कोशिश थी।

पहले भी रहा है विवाद– याद कीजिए Air India घटना

जब Air India (Tata समूह की विमानन कंपनी) में एक बुज़ुर्ग महिला के ऊपर बिज़नेस क्लास में अशोभनीय घटना हुई, तो कोई अधिकारी पीड़िता से मिलने नहीं गया। कई दिन तक कंपनी चुप्पी साधे रही। विश्वभर में आलोचना हुई, पर Tata Group ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई।

क्या रतन टाटा होते तो ऐसा होता?

रतन टाटा वो शख्सियत हैं जो खुद दुर्घटनास्थलों पर पहुंचते थे। श्रमिकों को महीनों तक वेतन दिलाते रहे। लोगों के दुःख पर उनकी आंखें नम हो जाती थीं। आज यही कंपनी उनके आदर्शों को नज़रअंदाज़ करती दिख रही है।

सरकार की त्वरित कार्रवाई

SSC की आगामी सभी परीक्षाओं को सरकार ने सीधे नियंत्रण में ले लिया है। ज्यादा निगरानी, पारदर्शिता और विकेंद्रीकरण के साथ आयोजन हो रहा है। यदि जांच में TCS दोषी पाया गया, तो उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह केवल परीक्षा नहीं- यह मूल्यों का सवाल है…

  • क्या किसी कॉर्पोरेट को यह अधिकार है कि वह मुनाफे के लिए छात्रों का भविष्य बर्बाद करे?
  • क्या यह वही Tata Group है जिसकी पहचान संवेदनशीलता और नैतिकता थी?

अब सवाल उठना ज़रूरी है कि “अगर कंपनी रतन टाटा जैसे महान व्यक्ति से नहीं सीख पाई… तो फिर किससे सीखेगी?”

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