लोकसभा ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच और उससे संबंधित विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोक सभा में विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024 को पेश किया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अनुदानों की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच 2024-25 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में जनता देख रही है, खुलासा हो रहा है कि गरीबों के लिए दिया गया पैसा इनकी पार्टी वर्कर्स के हाथों में जा रहा है, इसलिए इन्हें दिक्कत हो रही है। उन्होंने सदन को बताया कि जहां घपला होता है, हम साथ नहीं रहने वाले हैं। गरीब के लिए भेजा गया पैसा गरीब को मिलना चाहिए।
सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकेत यही है कि अच्छा, भ्रष्टाचार-रहित गरीब को जो पैसा मिलना चाहिए, वो उसको मिले। जहां घपला होता है, वहां हम साथ नहीं रहने वाले हैं। लोक सभा में वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच पर जवाब के दौरान उन्होंने कहा कि हर दूसरे राज्य की तरह पश्चिम बंगाल में भी वित्त वर्ष 2016-17 से पीएमएवाई-जी लागू है।
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 से पश्चिम बंगाल राज्य को केंद्रीय हिस्से के रूप में 25,798 करोड़ रुपये भी जारी किए हैं। हालांकि, पीएमएवाई-जी के क्रियान्वयन में अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं, जिसमें आवास+(2018) सूची से अपात्र परिवारों का चयन, पात्र परिवारों को हटाना और राज्य में योजना का नाम बदलकर ‘बांग्ला आवास योजना’ करना शामिल है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है।
सीतारमण ने कहा कि इसी तरह मनरेगा के तहत केंद्र सरकार को धन के दुरुपयोग की शिकायतें मिली हैं। इसका निरीक्षण किए जाने पर केंद्रीय टीमों के साथ राज्य की टीमें भी थीं। केंद्रीय टीमों द्वारा जांच करने पर शिकायतें सही पाई गईं। ग्रामीण विकास विभाग ने कार्रवाई रिपोर्ट की नवीनतम स्थिति मांगी थी। अब राज्य सरकार ने एटीआर प्रस्तुत कर दिए हैं, जिनकी जांच ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा की जा रही है।
33 करोड़ घरों में से 32.65 करोड़ घरों में एलपीजी कनेक्शन
केंद्रीय वित्त मंत्री ने लोकसभा में अनुदानों की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच 2024-25 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पहले घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर विशेषाधिकार माना जाता था, जरूरत से कम उपलब्ध था। उन्होंने सदन को बताया कि 2014 से पहले 45 फीसदी घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध था। सीतारमण ने कहा कि अब करीब-करीब शत-प्रतिशत घरों में उपलब्ध होने वाला है।