निफ्टी अल्फा लो वोलैटिलिटी 30: स्मार्ट निवेश रणनीति

[ चिंतन हरिया, प्रिंसिपल – इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी ]

लखनऊ। हाल के महीनों में शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है, जहां अधिकांश इंडेक्स करेक्शन मोड में आ गए हैं। ऊंचे वैल्यूएशन, आर्थिक वृद्धि में गिरावट, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अपेक्षा से कमज़ोर कॉरपोरेट नतीजे इसके प्रमुख कारण हैं। ऐसे अस्थिर बाजार में निवेशक चाहते हैं कि उन्हें पारंपरिक बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में बेहतर रिटर्न मिले, लेकिन अधिक जोखिम उठाए बिना।

फैक्टर इन्वेस्टिंग एक ऐसी रणनीति है, जो पैसिव और एक्टिव निवेश शैलियों का बेहतरीन संयोजन करती है। एक नियम-आधारित अप्रोच अपनाने से निवेशकों को संतुलित जोखिम के साथ स्थिर रिटर्न मिल सकता है। यही वजह है कि अल्फा और लो वोलैटिलिटी फैक्टर्स का मेल निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। निफ्टी अल्फा लो वोलैटिलिटी 30 (Nifty Alpha Low Vol 30) इंडेक्स इसी रणनीति को अपनाता है। यह मल्टी-फैक्टर इंडेक्स लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए उपयुक्त हो सकता है, खासकर जब इसे ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के ज़रिए अपनाया जाए।

दो निवेश शैलियों का मेल –

अल्फा का अर्थ है किसी इंडेक्स या बेंचमार्क से अधिक रिटर्न अर्जित करना। आमतौर पर, वे स्टॉक्स जो बाज़ार से बेहतर प्रदर्शन करते हैं और ट्रेंड में रहते हैं, अल्फा फैक्टर का हिस्सा होते हैं। जब बाज़ार तेजी के दौर में होता है, तो अल्फा स्टॉक्स बेहतर रिटर्न देते हैं।

इन स्टॉक्स को पहचानने के लिए अक्सर जेनसेन अल्फा (Jensen Alpha) का उपयोग किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि किसी निवेश ने लिए गए जोखिम के अनुपात में कितनी अच्छी कमाई की है।
लो वोलैटिलिटी रणनीति उन स्टॉक्स या इंडेक्स में निवेश करने पर केंद्रित होती है, जो मूल्य में अधिक स्थिरता बनाए रखते हैं। कम वोलैटिलिटी का अर्थ है कम उतार-चढ़ाव, कम अनिश्चितता और कम जोखिम।

यह एक डिफेंसिव रणनीति है, जो दीर्घकालिक रूप से बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न देने में सक्षम होती है। जब बाज़ार में गिरावट का दौर चलता है, तब लो वोलैटिलिटी स्टॉक्स व्यापक बाज़ार की तुलना में कम गिरते हैं। इस फैक्टर को आमतौर पर स्टॉक्स की स्टैंडर्ड डेविएशन (मानक विचलन) के ज़रिए मापा जाता है। दोनों फैक्टर्स को मिलाने से निवेशकों को अल्फा के ज़रिए ग्रोथ और लो वोलैटिलिटी के ज़रिए स्थिरता का लाभ मिलता है।

मल्टी-फैक्टर इन्वेस्टमेंट में निवेश करने से एक ही प्रोडक्ट में विभिन्न फैक्टर्स का एक्सपोज़र मिलता है। यह विविधीकरण (डाइवर्सिफिकेशन) प्रदान करता है, जिससे किसी एक फैक्टर की चक्रीय प्रवृत्ति दूसरे फैक्टर द्वारा संतुलित हो जाती है। चूंकि यह एक नियम-आधारित इंडेक्स है, इसलिए इसमें किसी तरह का पूर्वाग्रह नहीं होता।

ईटीएफ के ज़रिए निवेश का रास्ता –

इस रणनीति में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका ईटीएफ (ETF) हो सकता है, जो सीधे निफ्टी अल्फा लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स में निवेश करता है। इस इंडेक्स को बनाने के लिए निफ्टी 150 (लार्ज और मिडकैप) स्टॉक्स की यूनिवर्स का उपयोग किया जाता है। इसके बाद, इन स्टॉक्स को पिछले एक वर्ष के जेनसेन अल्फा और पिछले एक वर्ष की स्टैंडर्ड डेविएशन के आधार पर फ़िल्टर किया जाता है।
इसके बाद, अल्फा और लो वोलैटिलिटी के समान वेटेज के आधार पर शीर्ष 30 स्टॉक्स का चयन किया जाता है। इंडेक्स को हर छह महीने में रीबैलेंस किया जाता है, और किसी भी स्टॉक का वेटेज 5% से अधिक नहीं हो सकता।

वर्तमान माहौल में इसकी विशेषता –

इस इंडेक्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें लार्ज कैप स्टॉक्स का वर्चस्व है, जो कुल इंडेक्स का 85% हिस्सा बनाते हैं। लार्ज कैप स्टॉक्स वे गिने-चुने सेगमेंट्स में से एक हैं, जहां मौजूदा समय में वैल्यूएशन का संतुलन दिखाई देता है। इससे पोर्टफोलियो को स्थिरता मिलती है और जोखिम भी कम रहता है।

दिलचस्प बात यह है कि निफ्टी अल्फा लो वोल 30 TRI ने पिछले 10 में से 8 वित्तीय वर्षों (FY15 से FY24) में निफ्टी 100 TRI को पीछे छोड़ा है। इसके अलावा, इस बेंचमार्क ने निफ्टी 100 TRI और निफ्टी 200 TRI जैसे अन्य प्रमुख इंडेक्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है ?

निफ्टी अल्फा लो वोल 30 ईटीएफ में निवेश करना एक कम लागत वाला विकल्प है, जो निवेशकों को बेहतर रिटर्न और स्थिरता प्रदान करता है। इसमें तरलता (लिक्विडिटी) पर्याप्त होने के कारण, इसमें ट्रेडिंग आसान होती है। निवेशक छोटी रकम में निवेश कर सकते हैं और नियमित अंतराल पर निवेश जारी रख सकते हैं। इस तरह, निफ्टी अल्फा लो वोलैटिलिटी 30 उन निवेशकों के लिए एक स्मार्ट विकल्प हो सकता है, जो अस्थिर बाजार में भी स्थिर और संतुलित रिटर्न चाहते हैं।

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