जिले में नवजातों को मिल रही नई जिंदगी…सीपैप, मिल्क बैंक और केएमसी मॉडल बन रहे सहारा

बहराइच : समय से पहले जन्में पहले ही चार बच्चों को खो चुके रानी और राम कुमार के लिए उनका यह 33 सप्ताह में जन्मा शिशु, उम्मीद की आखिरी किरण था। वह बेहद नाजुक और कम वजन का था। लेकिन महिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती होते ही बच्चे को तुरंत दवाएं और फोटोथेरेपी दी गई। मदर मिल्क बैंक से शिशु को दूध देने और कंगारू मदर केयर अपनाने की सलाह दी गई। कुछ ही हफ्तों में बच्चा ठीक होने लगा। जब वह 4.5 महीने की उम्र में फॉलो-अप के लिए अस्पताल पहुंचा, तो वह पूरी तरह स्वस्थ था—मां की आंखों में सुकून और उम्मीद दोनों थी।
नेपाल बॉर्डर पर बसे एक गाँव के रानी और राम कुमार की यह कहानी आज बहराइच जिले की उस बदली हुई तस्वीर को बयान करती है, जिसमें नवजातों की जिंदगियां अब पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित हैं।

अब इलाज के लिए लखनऊ नहीं भेजना पड़ता

पहले सांस की दिक्कत होने पर बच्चों को लखनऊ भेजना पड़ता था, जिससे इलाज में देरी होती थी। अब महिला विंग में लगी सीपैप मशीन से इलाज तुरंत हो रहा है। साथ ही, मदर मिल्क बैंक और कम्युनिटी कंगारू मदर केयर मॉडल बच्चों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरे हैं। एसएनसीयू इंचार्ज डॉ. असद अली बताते हैं कि “बीते एक महीने में ही सीपैप मशीन की मदद से 10 नवजातों की जान बचाई गई है।”

माँ का दूध नहीं मिला, तो मदर मिल्क बैंक बना सहारा

कुछ शिशुओं को जन्म के बाद माँ का दूध नहीं मिल पाता —कभी माँ की बीमारी, कभी प्रसव के बाद जटिलताएं, और कभी माँ का न होना। ऐसे में महिला अस्पताल का मदर मिल्क बैंक ज़रूरतमंद शिशुओं के लिए जीवनदायी साबित हो रहा है। यहाँ दूसरी माताओं द्वारा दान किए गए दूध को स्वच्छता और गुणवत्ता की जांच के बाद बच्चों को पिलाया जाता है।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय खत्री बताते हैं कि “2022 से चल रही लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट के ज़रिए अब डिब्बा बंद दूध पर निर्भरता कम हुई है। इससे शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है और गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ भी घटा है।”

कम्युनिटी केएमसी मॉडल से घर-घर पहुंची सुरक्षा

कम वजन के जन्में शिशु जल्दी बीमार होते हैं, उनकी ठीक से देखभाल न की जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है , इसके लिए राईज संस्था के सहयोग से जिले में उत्तर प्रदेश का पहला कम्युनिटी कंगारू मदर केयर मॉडल अपनाया गया है। इसके तहत अस्पताल से छुट्टी के बाद प्रशिक्षित नर्सें घर जाकर माताओं को बताती हैं कि कम वजन के नवजात को कैसे सीने से लगाकर गर्माहट देनी है, क्या सावधानियाँ रखनी हैं और कब डॉक्टर से संपर्क करना है।
डॉ. असद अली के मुताबिक, “जुलाई 2021 से दिसंबर 2024 के बीच 1800 ग्राम से कम वजन या 36 हफ्ते से पहले जन्मे 2670 नवजातों को सुरक्षित किया गया है।

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