नया नियम: 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य

kajal soni

21वीं सदी के युग में सोशल मीडिया हर उम्र के लोगो के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है ,जिसे चाह कर भी झुठला नही सकते हैं. बड़े से लेकर छोटे तक हर कोई सोशल मीडिया पर एक्टिव है , हालांकि सोशल मीडिया के भी अपने फायदे ओर नुकसान हैं। छोटे बच्चे तो ज्यादातर अपना समय उसी पर व्यतीत करते हैं, लेकिन सरकार ने भी बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को लेकर एक अहम कदम उठाया है। दरअसल डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) के तहत प्रस्तावित नए मसौदा नियमों के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य होगा।

लोगो को डेटा संरक्षण नियमों का लंबे समय से था इंतजार

दरअसल डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 को लेकर नियमों का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस अधिनियम के तहत नए मसौदा नियम जारी किए हैं। हालांकि, इन नियमों में अभी किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है। सरकार ने इस मसौदे पर जनता से 18 फरवरी 2025 तक सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद, इन पर विचार करके अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

नियमों का उल्लंघन करने पर लगेगा 250 करोड़ का जुर्माना
मसौदा अधिसूचना में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस जुर्माने का प्रावधान अधिनियम की धारा 40 की उप-धाराओं (1) और (2) के तहत किया गया है। सरकार का उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाना है।

माता-पिता का भी होगा अहम रोल
नए नियम बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को सुरक्षित और नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी और सुरक्षा के साथ करें। माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने से बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा में सुधार होगा और यह उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखने में मददगार साबित होगा।

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 का उद्देश्य
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 का उद्देश्य है कि उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखा जाए और इसे किसी भी प्रकार के दुरुपयोग से बचाया जा सके। सरकार इस अधिनियम को प्रभावी बनाकर एक ऐसा डिजिटल माहौल बनाना चाहती है, जहां उपयोगकर्ता बिना किसी डर के डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकें। यह कदम न केवल बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाएगा, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अधिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। अब देखना होगा कि 18 फरवरी के बाद इन मसौदा नियमों पर क्या निर्णय लिया जाता है।

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