
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लालकिला बम धमाका करने वाले आरोपी डॉ. मोहम्मद उमर नबी के दो साथी अभी तक फरार हैं। आशंका है कि दोनों दिल्ली-एनसीआर में कहीं छिपे हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि धमाके से 24 घंटे पहले तक उमर के दिमाग में क्या चल रहा था।
जांच में सामने आया है कि 9 नवंबर की रात 11:30 बजे से लेकर 10 नवंबर को लालकिले के सामने बम विस्फोट करने तक वह लगातार विभिन्न इलाकों में घूमता रहा और कहीं नहीं रुका। एजेंसियां यह पड़ताल कर रही हैं कि क्या वह सही जगह की तलाश में था या किसी वीआईपी, ऐतिहासिक स्थल या भीड़भाड़ वाले बाजार को निशाना बनाना चाहता था। वह प्रधानमंत्री आवास और कर्तव्य पथ के आसपास भी देखा गया। यानी वह पूरी दिल्ली में सक्रिय रूप से घूमता रहा।
उमर नबी की घूमने की तीन प्रमुख रूट ट्रैवलिंग
अधिकारियों के अनुसार, उमर नबी 9 नवंबर की रात केएमपुर और दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे के संगम बिंदु के पास दिखाई दिया। वहां से वह एक्सप्रेसवे पर चढ़कर फिरोजपुर झिरका तक गया, लेकिन आगे नहीं बढ़ा और फिर फरीदाबाद होते हुए बदरपुर से दिल्ली में दाखिल हुआ। आश्रम चौक उसकी मूवमेंट का मुख्य केंद्र रहा।
पहला रूट
- आश्रम चौक → डीएनडी → मयूर विहार → नोएडा की ओर कुछ दूरी
फिर वापस आश्रम चौक।
दूसरा रूट
- आश्रम चौक → नई दिल्ली → इंडिया गेट → अकबर रोड → तुगलक रोड → आईएनए मार्केट
इसके बाद रिंग रोड से होते हुए फिर आश्रम चौक वापसी।
तीसरा रूट
- आश्रम चौक → नई दिल्ली → कर्तव्य पथ → राष्ट्रपति भवन → धौला कुंआ → पंजाबी बाग → वजीरपुर
इसके बाद कनॉट प्लेस होते हुए लालकिला पहुंचा और पार्किंग में रुका।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का मालिक भी रह चुका है जेल में
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मालिक जावेद अहमद सिद्दीकी (61) तीन साल तक जेल में रह चुके हैं। पहले वह चिट फंड व्यवसाय में था और लोगों को भुगतान न करने के कारण उसके खिलाफ 14–15 एफआईआर दर्ज हुईं। माना जाता है कि इन्हीं पैसों से यूनिवर्सिटी की नींव रखी गई। बाद में उसने पैसा वापस लौटाया और सभी केसों से बरी हो गया।
साल 2000 की एफआईआर (43/2000) में जावेद और उसके भाई सऊद अहमद के खिलाफ दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में IPC की धाराओं 420, 406, 409, 468, 471 और 120B के तहत केस दर्ज हुआ था। उन पर 7.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप था।
जावेद का बैकग्राउंड और नेटवर्क
- जावेद ने इंदौर से बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग) किया।
- 1992 में जामिया मिलिया इस्लामिया में असिस्टेंट प्रोफेसर बने और जनवरी 1994 तक नौकरी की।
- दोनों बहनें और दोनों बेटे दुबई में रहते हैं।
वह अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का अध्यक्ष है, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर चलाता है। जावेद नौ कंपनियों से जुड़ा हुआ है, जिनका काम निवेश, शिक्षा, सॉफ्टवेयर, ऊर्जा, निर्यात और कंसल्टेंसी से संबंधित है।
यूनिवर्सिटी पहले भी विवादों में रही है
अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बड़ी जांच के दायरे में है, क्योंकि लालकिला बम धमाके की साजिश से जुड़े जिन तीन डॉक्टरों को पकड़ा गया—
- उमर उन नबी (कार चला रहा था)
- मुजम्मिल अहमद गनाई (30 अक्टूबर को गिरफ्तार)
- शाहीन शाहिद (11 नवंबर को लखनऊ से गिरफ्तार)
तीनों अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे और वहाँ पढ़ाते थे।
कंपनियों से जुड़े कनेक्शन
रिकॉर्ड के अनुसार, जावेद का सबसे पुराना संबंध अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी से है, जिसमें वह 18 सितंबर 1992 को शामिल हुआ था। उसकी आवश्यक कंपनियों जैसे—
- अल-फलाह सॉफ्टवेयर
- अल-फलाह एनर्जीज
- तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन
- अल-फलाह एजुकेशन सर्विस
का रजिस्ट्रेशन भी एक ही पते 274-A, अल-फलाह हाउस, जामिया नगर, ओखला, नई दिल्ली पर है।
यही बिल्डिंग अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का मुख्यालय भी है।
विश्वविद्यालय की शुरुआत 1997 में
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत वर्ष 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। ट्रस्ट और कंपनियों में उस्मा अख्तर और आलिया सिद्दीकी जैसे नाम भी शामिल हैं। उस्मा अख्तर वर्तमान में UAE में रहती हैं और कई व्यवसायों से जुड़ी हैं।















