यूपी रोडवेज में नई मुसीबत…टिकट ऑनलाइन, बस ऑफलाइन !

अंकुर त्यागी

-भुक्तभोगी यात्री को एक कर्मचारी ने किसी तरह बस में बैठाया

  • बस अड्डों पर भटक रहे यात्री, परिवहन विभाग के दावे खोखले साबित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग यात्रियों की सुविधा के लिए ऑनलाइन बस टिकट बुकिंग सुविधा दे रखी है। जिसके तहत यात्री घर बैठे ही टिकट बुक कर सकते हैं, लंबी कतारों से बच सकते हैं और आराम से सफर कर सकते हैं। लेकिन हकीकत का कुछ और भी है।


लखनऊ से हरदोई जा रहे एक यात्री ने परिवहन विभाग की इस सुविधा की सच्चाई उजागर की। यात्री ने यूपीएसआरटीसी (UPSRTC) की वेबसाइट से ऑनलाइन टिकट बुक किया था। टिकट के अनुसार, बस सुबह 8 बजे कैसरबाग बस अड्डे से प्रस्थान करने वाली थी। यात्री समय से बस अड्डे पहुंच गया। पूछताछ काउंटर पर बस की जानकारी लेने गया तो उसे ताने भरे लहजे में जवाब मिला…“आप लोग बहुत एडवांस हो गए हैं, ऑनलाइन टिकट बुक कर लेते हैं, जाइए खुद ढूंढिए अपनी बस।” इसके बाद यात्री ने बस अड्डे पर मौजूद कई बसों के चालकों और परिचालकों से जानकारी ली, लेकिन किसी ने भी ऑनलाइन टिकट पर यात्रा की अनुमति नहीं दी।


परिचालकों का साफ कहना था कि वे “ऑनलाइन टिकट वाले यात्रियों को नहीं ले जाते।” लगभग एक घंटे तक भटकने के बाद जब यात्री ने बस अड्डा इंचार्ज से शिकायत की, तब जाकर एक कर्मचारी की मदद से उसे किसी बस में जबरदस्ती बैठाया गया। इस पूरे प्रकरण में उसका अनुभव बहुत खराब रहा।
इस मामले की पुष्टि तब हुई जब दैनिक भास्कर के संवाददाता ने स्वयं कैसरबाग बस अड्डे का दौरा किया। मौके पर स्थिति बिल्कुल वैसी ही पाई गई जैसी यात्री ने बताई थी। संवाददाता ने करीब एक घंटे तक विभिन्न गंतव्यों की कई बसों (UP32 TN 2618, UP78 KT 7926, UP34 BT 9377) के परिचालकों से बातचीत की। सभी ने ऑनलाइन टिकट वाले यात्रियों को बैठाने से साफ इनकार कर दिया। इस पूरे मामले में एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ऑनलाइन टिकट व्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या बसों की संख्या और उनके टाइम टेबल की है। कर्मचारियों के मुताबिक, “सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर जैसे छोटे रूटों पर बसों की संख्या अधिक है लेकिन विभाग की ओर से कोई तय टाइम टेबल नहीं बनाया गया है। इससे ऑनलाइन टिकट वाले यात्रियों को पहचानना या बस से जोड़ना मुश्किल हो जाता है।” उन्होंने यह भी बताया कि सामान्य बसों की ऑनलाइन टिकट में बस नंबर का उल्लेख नहीं होता, जिससे यात्रियों की मदद कर पाना लगभग असंभव हो जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि टिकट पर बस नंबर या चालक व परिचालक का संपर्क नंबर दिया जाए, तो यात्रियों को बस ढूंढने में आसानी हो सकती है। बड़ा सवाल यह है कि जब विभाग के कर्मचारी ही ऑनलाइन टिकट धारकों की मदद करने में असमर्थ हैं, तो फिर ऐसी सुविधा देने का औचित्य क्या है? क्या यह सुविधा सिर्फ कागजों पर यात्रियों को भ्रमित करने के लिए चलाई जा रही है?


टिकट पर बस नंबर क्यों नहीं?

लखनऊ। निजी ऑपरेटरों की बसों व यूपीएसआरटीसी की बहुत सी बसों में ऑनलाइन टिकटों में बकायदा बस का नंबर और सीट का नंबर भी आवंटित होता है। यात्रा का समय और दूसरी जानकारी भी होती है। लेकिन छोटे रूट के सामान्य बसों में बस नंबर की जानकारी नहीं दी जा रही हैं जिसका फायदा रोडवेज बस के कंडक्टर उठा रहे हैं और नुकसान यात्रियों का हो रहा है। इससे सरकार की छवि भी खराब होती है।


क्या बोले मंत्री जी…
इस मामले में जब उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा की ऐसी कोई भी समस्या उनके संज्ञान में नहीं है, यदि ऐसा कुछ है तो जानकारी कर के इस समस्या का निवारण किया जायेगा।उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा एआई आधारित स्मार्ट सर्विलांस प्रणाली लागू करने का फैसला

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