नई दिल्ली : निगम में स्थाई समिति बैठक में पार्षद और उपायुक्त आपस में भिड़े, आयुक्त ने लिया संज्ञान

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति बैठक में पहली बार एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना कड़ा रुख अपनाते हुए अध्यक्ष को स्पष्ट जबाव दिया है कि राजनैतिक पार्टी दल के नेताओं द्वारा बिना सबूत के अधिकारियों पर लांछन लगाने का प्रयास किया जाता हैं, जोकि नियमों के बिल्कुल विरुद्ध है। बता दें कि नगर निगम की स्थाई समिति की विशेष चर्चाओ को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस दौरान बैठक में सत्ता पक्ष के पार्षदों द्वारा उपायुक्तों पर दबाव बनाकर उन पर विभिन्न प्रकार के आरोपों की बौछार की गई, साथ ही बैठक में खुद भाजपा के एक वरिष्ठ पार्षद ने अपनी सत्तापक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वार्डो में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। चारों तरफ कीचड़ फैली हुई है, लेकिन वार्डो में सफाई तक नहीं हो पा रही है। इसी दौरान भाजपा पार्षद पंकज लूथरा ने उपायुक्त बादल कुमार पर आरोप लगाते कहा कि वार्ड में इमारतों के नाम पर उगाई की जा रही है, उन्होंने कहा कि एक कनिष्ठ अभियंता द्वारा एक हिस्सा उपायुक्त को सौंपने की बात स्वीकार की है।

इस बात को लेकर बैठक में पार्षद और उपायुक्त आपस में भिड़ गए, उपायुक्त बादल कुमार ने पार्षद पंकज लूथरा को झूठा साबित करते हुए कहा कि अगर पार्षद के पास सबूत है, तो बैठक में सभी के सामने पेश करे, अन्यथा पार्षद बेबुनियाद के आरोप लगाने बंद करे, साथ ही पार्षद और उपायुक्त को आपस में भिड़ता देख अध्यक्ष सत्या शर्मा ने उपायुक्त को शांत कराने की कोशिश की, उसी दौरान आयुक्त अश्विनी कुमार ने अध्यक्ष को शांत कराते हुए कहा कि अधिकारी को अपना पक्ष रखने का पूरा हक है। आयुक्त ने कहा कि बैठक में चर्चा-विमर्श का विषय कम हो पाता है, लेकिन अधिकारियों को निशाना बनाकर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। नगर निगम में ब्लैकमेलिंग का खेल खेला जा रहा है, जोकि बिलकुल भी बर्दास्त नहीं किया जाएगा। निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने सभी उपायुक्तों को कड़े निर्देश दिए हैं कि अगर किसी प्रकार की 2 से ज्यादा शिकायतें आती हैं, तो तुरंत विजिलेंस और सीबीआई को सूचित करें। आयुक्त ने सभी पार्षदों से कहा कि अगर कोई समस्या है, तो सीधे तौर पर मुझसे संपर्क करें, लेकिन अधिकारियों पर बेफजूल का आरोप लगाना बंद करें,

आपको बता दें कि आयुक्त अश्विनी कुमार की ईमानदार छवि को देखते हुए भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार का रास्ता छोड़ शांति के साथ अपनी ड्यूटिया करने में लगे हुए हैं, क्योंकि आयुक्त ने भ्रष्ट अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित तक कर चुके हैं, साथ ही आयुक्त की छवि को उपायुक्त बादल कुमार भी अपना रहे हैं, लेकिन पार्षदगण द्वारा बदनाम करने की साजिश की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, निगम की बैठक में आयुक्त अश्विनी कुमार के कड़े रुख को देखते हुए शायद बहुत जल्द तबादला हो सकता है, साथ ही उपायुक्त बादल कुमार का भी तबादला होने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि भाजपा सरकार से सीधे तौर पर सच्चाई का सामना दोनों ही अधिकारियों ने किया है। अगर दोनों वरिष्ठ अधिकारियों का सच्चाई पेश करने पर तबादला होता है, तो संविधान के तहत गलत है। अभी हार-जीता देखनी बाकी है।

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