
उतराखंड: पंत विवि के वैज्ञानिकों ने कैंसरग्रस्त कुत्तों के इलाज के लिए एक नई दवा वितरण प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली में विशेष हाइड्रोजेल का उपयोग किया गया है, जिससे दवाओं का दुष्प्रभाव कुत्तों के अन्य अंगों पर नहीं पड़ेगा। इस तकनीक का पेटेंट भी हासिल कर लिया गया है, जो सीटीवीटी जैसे कैंसर रोगों के इलाज में मददगार साबित होगा।
नई प्रणाली से कैंसर दवाओं के दुष्प्रभाव में कमी, पेटेंट प्राप्त
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण शोध में सफलता हासिल की है। उन्होंने विशेष हाइड्रोजेल और दवा वितरण की एक नई प्रणाली विकसित की है, जिससे कैंसर रोगी कुत्तों को दी जाने वाली दवाओं का दुष्प्रभाव उनके अन्य अंगों पर नहीं पड़ेगा। इस नवाचार का पेटेंट भी प्राप्त कर लिया गया है।
कुत्तों में सीटीवीटी का इलाज अब होगा प्रभावी
पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के सर्जरी एंड रेडियोलॉजी विभाग में शोध कर रहे डॉ. अरुण सैनी ने प्राध्यापक डॉ. एनएस जादौन के मार्गदर्शन में कुत्तों में ‘कैनाइन ट्रांसमिशिबल वेनरल ट्यूमर’ (सीटीवीटी) के इलाज के लिए एक नई दवा वितरण प्रणाली विकसित की। यह प्रणाली कैंसर रोधी दवाओं को सीधे प्रभावित क्षेत्र में अधिक प्रभावी तरीके से पहुंचाएगी, जिससे इलाज का समय कम होगा और दवाओं की अधिकतम प्रभावशीलता प्राप्त होगी।
हाइड्रोजेल और पॉलीमर आधारित ड्रग डिलीवरी सिस्टम
डॉ. अरुण सैनी ने इस नई प्रणाली में हाइड्रोजेल का इस्तेमाल किया, जिसे पॉलीमर आधारित ड्रग डिलीवरी सिस्टम से जोड़ा गया। यह प्रणाली कैंसर रोधी दवाओं को नियंत्रित और स्थिर तरीके से कुत्तों के शरीर में पहुंचाती है, जिससे शरीर के अन्य अंगों पर होने वाले दुष्प्रभावों में कमी आती है।
कैसे काम करता है यह नया सिस्टम
सीटीवीटी के इलाज में सामान्यतः शल्य चिकित्सा के जरिए ट्यूमर को हटाया जाता है, जबकि कीमोथेरेपी और रेडिएशन उपचार भी विकल्प होते हैं। हालांकि, इन उपचारों के दुष्प्रभाव कुत्तों के अन्य अंगों पर पड़ सकते हैं। इस नई प्रणाली के जरिए दवाओं को सीधे प्रभावित क्षेत्र में भेजा जाता है, जिससे दवाओं का प्रभाव अधिकतम होता है और शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों में कमी आती है।
कुत्तों की देखभाल में आएगी आसानी
कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी और कहा कि इस नवाचार से कुत्तों में संक्रामक ट्यूमर के इलाज में नई उम्मीदें पैदा हुई हैं। पेटेंट प्राप्त होने के बाद इस प्रणाली से कुत्तों में सीटीवीटी का इलाज और भी बेहतर तरीके से किया जा सकेगा, जिससे कुत्तों की देखभाल में भी आसानी होगी।















