Nepal : सिमरा में जेएनजी का प्रदर्शन, लगातार दूसरे दिन अशांति

भास्कर ब्यूरो

Sonauli, Maharajganj : बारा जिले का सिमरा क्षेत्र गुरुवार को फिर से तनाव और अशांति की चपेट में आ गया। बुधवार को नेकपा एमाले कार्यकर्ताओं और जेएनजी समूह के युवाओं के बीच हुई तीखी झड़प के बाद हालात बिगड़े थे। झड़प में धक्का–मुक्की, पथराव और उग्र नारेबाजी हुई, जिससे पूरे इलाके में तनाव फैल गया। देर शाम हुई बैठक में पुलिस प्रशासन और युवाओं के बीच अस्थायी समझौता हुआ था, जिसके बाद रात में स्थिति सामान्य हो गई थी।

लेकिन गुरुवार सुबह हालात फिर बिगड़ गए और जेएनजी समूह के दर्जनों युवा सड़क पर उतर आए। सुबह से ही मुख्य बाजार चोक और राजमार्ग के आसपास का माहौल तनावपूर्ण हो गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर “एकतरफ़ा कार्रवाई” का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। उनका कहना था कि बुधवार की झड़प के वास्तविक कारणों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और गिरफ्तार युवाओं को तुरंत रिहा किया जाए। इस दौरान कई दुकानों के शटर बंद रहे और यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग अपनाना पड़ा। स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बना रहा।

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त प्रहरी बल तैनात किया गया। पुलिस ने कई क्षेत्रों में बैरिकेड लगाकर यातायात को आंशिक रूप से मोड़ दिया। भीड़ बढ़ने के कारण कई जगहों पर आवागमन बाधित हुआ। प्रशासन ने अपील जारी करते हुए कहा कि शांति और कानून–व्यवस्था बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है। वहीं, प्रदर्शनकारी युवाओं ने गुरुवार को भी अपने विरोध कार्यक्रम जारी रखने का संकेत दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि नेकपा एमाले कार्यकर्ताओं और जेएनजी समूह के युवाओं के बीच तनाव पिछले कुछ समय से बढ़ रहा था। बुधवार की झड़प और गुरुवार का विरोध यह दिखाता है कि मामला अब राजनीतिक मोड़ ले रहा है।

स्थानीय जनजीवन लगातार प्रभावित हो रहा है। व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है और आम नागरिकों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।बुधवार का समझौता टिक नहीं पाया और गुरुवार सुबह विरोध फिर भड़क उठा। यह घटनाक्रम प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद युवाओं का आक्रोश कम नहीं हुआ। लगातार दूसरे दिन अशांति ने यह साफ कर दिया है कि समस्या का समाधान केवल अस्थायी समझौते से संभव नहीं है।

सिमरा क्षेत्र में लगातार अशांति से यह स्पष्ट है कि स्थिति गंभीर है और इसे हल करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। प्रशासन को युवाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करना होगा, साथ ही राजनीतिक दलों को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो यह तनाव और गहरा सकता है।

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