क्या नेपाल में राजशाही की वापसी तय? पहाड़ में रह रहा ये शख्स संभालेगा गद्दी, मार्च में लगे थे ‘राजा वापस आओ, देश बचाओ के नारे’

Nepal Gen Z Protest : नेपाल की सड़कों पर 2025 में भारी हंगामा मचा हुआ है। देश जल रहा है और राजनीतिक अस्थिरता चरम पर है। प्रधानमंत्री ने अपनी कुर्सी छोड़ दी है। केपी शर्मा ओली की सरकार के एक फैसले ने पूरे नेपाल को संकट में डाल दिया है।

अब हर व्यक्ति के मन में सवाल है, आगे क्या होगा? क्या नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र और राजशाही की वापसी करेगा? क्या देश में चुनाव होंगे? या फिर पहाड़ों पर रहने वाला कोई शख्स राजा बनेगा? आइए पूरी कहानी समझते हैं।

2025 में नेपाल की सड़कें आग की तरह धधक रही हैं। मार्च से शुरू हुए प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुके हैं। माना जा रहा है कि पुलिस की झड़पों में करीब 22 लोगों की मौत और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने संसद और अन्य सरकारी इमारतों पर प्रदर्शनकारियों के चढ़ने पर आंसू गैस, पानी की बौछारें और गोलीबारी की है।

मंगलवार को भी विरोध जारी रहा, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, नेपाली कांग्रेस के मुख्यालय और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर में आग लगा दी। कई अन्य राजनीतिक नेताओं के घरों को भी तोड़ा गया है। जनता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकार की नाकामी से तंग आ चुकी है। ओली सरकार ने सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसने आग में घी का काम किया। 9 सितंबर 2025 को ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। अब हर नेपाली के मन में सवाल है: आगे क्या?

सोशल मीडिया बैन ने आग में किया घी का काम

नेपाल में फैली हिंसा का एक बड़ा कारण ओली सरकार का सोशल मीडिया पर प्रतिबंध था। सरकार ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज दबाने का उपाय माना, लेकिन युवाओं ने इसे अपने आंदोलन का हथियार बना लिया। एक्स पर #BringBackMonarchy और #HinduRashtra ट्रेंड करने लगे। युवाओं ने सड़कों पर उतरकर संसद और सरकारी दफ्तरों को घेर लिया। कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ हुई, और पुलिस की लाठीचार्ज और आंसू गैस से हालात और बिगड़ गए। नतीजा यह हुआ कि ओली की सत्ता समाप्त हो गई। इसके बाद एक नाम की चर्चा तेज हो रही है—पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह। आइए जानते हैं, उनकी क्या स्थिति है और क्या वे फिर सिंहासन संभाल सकते हैं।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह : पहाड़ों से सिंहासन की ओर?

2008 में राजशाही के अंत के बाद से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह एक सामान्य नागरिक के रूप में रह रहे हैं। उनका मुख्य निवास काठमांडू के निर्मल निवास में है। 2024 की शुरुआत में, वे कथित तौर पर नागार्जुन पहाड़ियों में स्थित एक शिकारगाह में रहते हैं। उनकी पत्नी रानी माता रत्ना पूर्व शाही महल परिसर में रहती हैं।

राजशाही समर्थक प्रदर्शन भी कई बार हुए हैं। मार्च में बड़ी संख्या में समर्थकों ने “राजा वापस आओ, देश बचाओ” के नारे लगाए। मई में, नवराज सुबेदी के नेतृत्व में समर्थकों ने देशव्यापी विरोध शुरू किया। अधिकारियों ने कई जगहों पर प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी ने भी प्रतिवाद किया। ज्ञानेंद्र शाह की उपस्थिति ने समर्थकों का उत्साह बढ़ाया है, और वे अभी भी गद्दी वापसी की उम्मीद जगे हुए हैं।

हिंदू राष्ट्र और राजशाही की मांग क्यों?

2008 में माओवादी आंदोलन के चलते नेपाल ने धर्मनिरपेक्ष गणराज्य अपना लिया। लेकिन 17 वर्षों में 14 सरकारें बदली हैं, और सरकारें स्थिर नहीं हो पाई हैं। भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी ने जनता को निराश कर दिया है। 81% हिंदू आबादी अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को वापस चाहते हैं। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) और काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। मार्च में हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दो लोग मारे गए और कई घायल हुए।

सेना का दखल : राजशाही की ओर संकेत?

ओली के इस्तीफे के बाद नेपाली सेना ने कानून-व्यवस्था संभाली है। सेना प्रमुख ने पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर के सामने बयान देकर संकेत दिए हैं कि सेना राजशाही समर्थक हैं। कुछ लोग बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की बात कर रहे हैं, जबकि नजरें ज्ञानेंद्र शाह पर टिकी हैं। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं, “कम्युनिज्म खत्म, राजा लौटो!”

आगे क्या? चुनाव, राजशाही या अराजकता?

नेपाल का संविधान राजशाही की मंजूरी नहीं देता। नए संविधान के लिए आवश्यक प्रक्रिया जटिल है। अगला चुनाव 2027 में है, लेकिन अस्थिरता के कारण जल्दी चुनाव की मांग उठ रही है। माओवादी और चीन का प्रभाव भी चुनौतियों का कारण है। जनता का समर्थन और समर्थनकर्ता अभी भी राजा की वापसी की उम्मीद जगा रहे हैं।

ज्ञानेंद्र शाह ने अभी चुप्पी साधी है, लेकिन समर्थक उनका समर्थन कर रहे हैं। क्या नेपाल फिर से राजशाही की ओर बढ़ेगा, या नई सरकार बनेगी? ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं, लेकिन हवा राजा की ओर बह रही है।

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