राजनीतिक उथल-पुथल में घिरा नेपाल : सेना के हेलीकॉप्टर से रस्सियों के सहारे निकाले गए मंत्री और परिवार

नेपाल इन दिनों एक गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है. देश की राजधानी काठमांडू से लेकर कई प्रमुख शहरों तक, युवाओं के नेतृत्व में उभरे असंतोष ने सरकार की नींव को झकझोर कर रख दिया है. सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध और सत्ता के कथित दुरुपयोग के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब हिंसा में तब्दील हो चुका है.

इन उथल-पुथल भरे दिनों में कुछ ऐसे दृश्य सामने आए, जिन्होंने पूरे विश्व का ध्यान खींचा. उन्हीं में से एक था. मंत्रियों और उनके परिवारों को सेना के हेलीकॉप्टर से रस्सियों के सहारे बाहर निकाला जाना.

जनता की आवाज़ या बगावत की आग?

इस जनाक्रोश की शुरुआत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, एक्स (पूर्व ट्विटर), और यूट्यूब पर लगाए गए अस्थायी प्रतिबंधों से हुई. सरकार ने इन प्रतिबंधों का कारण बताया कि कंपनियों ने राष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं किया. लेकिन जनता खासकर Gen-Z ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और सड़कों पर उतर आई. हजारों प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने सरकारी दफ्तरों, संसद भवन और कई मंत्रियों के आवासों पर हमला बोल दिया. संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग का घर जला दिया गया, वहीं वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल और नेपाल राष्ट्र बैंक के गवर्नर बिस्वा पौडेल के घरों पर पथराव किया गया.

 

सड़कों पर हमला, आसमान से रेस्क्यू

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों की उग्र भीड़ ने कई नेताओं को दौड़ाया, कुछ को घायल किया और उनके आवासों में आगजनी की. विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा और उनके पति, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर पर भी हमला हुआ. एक दृश्य में देउबा को घायल अवस्था में खेत में बैठा पाया गया, जब तक कि सेना उन्हें बचाने नहीं पहुंची. दृश्य तब और भी अधिक नाटकीय हो गए जब सेना के हेलीकॉप्टरों ने कुछ मंत्रियों और उनके परिवारों को छतों से रस्सियों के सहारे सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया. काठमांडू के एक होटल के ऊपर से उड़ते एक हेलीकॉप्टर का वीडियो सामने आया, जिसके नीचे धुएं और आग का गुबार दिखाई दे रहा था.

जेलें भी बनीं प्रदर्शन का केंद्र

सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों तक ही यह आक्रोश सीमित नहीं रहा. राजधानी की कई जेलों में बंदियों ने बगावत कर दी. उन्होंने गार्ड हाउस और सेल ब्लॉक में आग लगा दी, मुख्य द्वार तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश की. हालांकि सेना की तैनाती के चलते इस प्रयास को विफल कर दिया गया और कैदियों को अन्य जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया.

बेरोजगारी और ‘नेपो किड्स’ बना आक्रोश का कारण

यह विरोध सिर्फ सोशल मीडिया के प्रतिबंध तक सीमित नहीं है. इसकी जड़ें गहरी हैं. देश की आर्थिक असमानता और बेरोजगारी में. खासतौर पर युवा वर्ग इस बात से नाराज है कि नेताओं के बच्चे जिन्हें वे ‘नेपो किड्स’ कहते हैं. विदेशी गाड़ियों, महंगे फैशन और शाही छुट्टियों का लुत्फ उठा रहे हैं, जबकि आम युवाओं को नौकरी के लिए विदेश जाना पड़ रहा है. विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, नेपाल में युवाओं की बेरोजगारी दर करीब 20% है. सरकार का अनुमान है कि प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा युवा रोज़गार की तलाश में देश छोड़ रहे हैं.

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