
सोनौली, महराजगंज। आगामी फागुन 21 को होने वाले प्रतिनिधि सभा चुनाव को लेकर नेपाल में सुरक्षा तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। रविवार को सिंहदरबार में आयोजित केंद्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में सुरक्षा निकायों ने देशभर के मतदान केंद्रों का आकलन प्रस्तुत किया। रिपोर्ट के अनुसार 3,518 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जबकि 4,529 केंद्र संवेदनशील’ और 2,879 केंद्र ‘सामान्य’ पाए गए हैं।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता आनंद काफ्ले ने बताया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य चुनाव को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए समग्र सुरक्षा योजना पर चर्चा करना था। विशेष रूप से तराई क्षेत्र और भारत नेपाल सीमा के आसपास स्थित केंद्रों को अधिक जोखिम वाला माना गया है।
बैठक में चारों सुरक्षा एजेंसियों की सहभागिता से तैयार की गई एकीकृत निर्वाचन सुरक्षा योजना 2082 का मसौदा भी प्रस्तुत किया गया। इसमें मतदान केंद्रों का विश्लेषण सुरक्षा बलों की तैनाती की रणनीति, सीमा सुरक्षा और संवेदनशील इलाकों पर विशेष निगरानी जैसे बिंदु शामिल हैं। बैठक ने इस योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी।
तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
- चुनाव पूर्व तैयारी: जोखिम वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त बल की तैनाती और गश्त बढ़ाना।
- चुनाव दिवस की तैयारी: मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा बल, संचार व्यवस्था और निगरानी।
चुनाव बाद की व्यवस्था: मतगणना केंद्रों और परिणाम घोषणा तक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
नेपाली सेना की तैनाती पर विचार
बैठक में नेपाली सेना की संभावित तैनाती पर भी चर्चा हुई। इसके लिए गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और रक्षा मंत्रालय को सिफारिश पत्र भेजा है।निर्वाचन-केंद्रित सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सातों प्रदेश में गोष्ठियाँ आयोजित की जाएँगी। पहला सम्मेलन मंसिर 9 से लुम्बिनी प्रदेश में शुरू होगा। प्रवक्ता काफ्ले ने कहा कि चुनाव को प्रभावित करने वाली गतिविधियों जैसे हिंसा भड़काना, मतदाताओं को धमकाना या अवैध कार्यों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
गृहमंत्री ओमप्रकाश अर्याल की अध्यक्षता में हुई बैठक में गृह सचिव, नेपाली सेना के रथी, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस के महानिरीक्षक, राष्ट्रीय जाँच विभाग के प्रमुख तथा मंत्रालय के शांति-सुरक्षा महाशाखा प्रमुख सहित उच्च अधिकारी उपस्थित थे।















