रूपईडीहा ( बहराइच ) शरदीय नवरात्र व चैत्र नवरात्र मे पड़ोसी देश नेपाल के मॉं बागेवरी देवी मंदिर परिसर मे सप्तमी के दिन से दशमी तक बेजुबान जानवरो की बलि देने की प्रथा आज भी चलती चली आ रही है जबकि भारतीय क्षेत्र मे बलि प्रथा पूर्ण रूप से बंद हो गया है तथा जानवरो की बलि के स्थान पर नारियल की बलि दी जा रही है गौरतलब है कि नेपाल मे भी बलि देने का विरोध भी होने लगा है लेकिन प्रशासन की तरफ से बलि प्रथा रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया है इसीक्रम मे बताते चले कि नेपाल के पुलिस विभाग तथा सेना मे भी बलि देने की पुरानी प्रथा आज भी कायम है ।
दरअसल बॉंगेवरी मंदिर के स्थिति उत्तर दिशा मे गोलाकार बलि स्थल है उसी परिसर मे बलि दिया जाता है और मंदिर का पुजारी स्वयं प्रति बलि के जानवर के हिसाब से निर्धारित शुल्क वसूलता है। जबकि नेपालगंज बॉंके के समाजिक संस्थाओ ने बलि प्रथा बंद कराने के लिए आवाज भी उठाया लेकिन ढाक के तीन पात की तरह ही रह गया । इसीक्रम मे भारतीय क्षेत्र रूपईडीहा के मॉ बॉगेवरी के देवी भक्त डा0 सनत कुमार शर्मा ,अर्जुन अमलानी,बबलू सिंह,घनयाम दिक्षित एडवोकेट आदि जो पूरे नवरात्र मॉं के दरबार मे पूजा अर्चना करते है उनका भी मत है कि मंदिर परिसर के बाहर बलि की व्यवस्था होनी चाहिए क्योकि अहिंसा के समर्थको मे बलि प्रथा पर असंतोष है । बताते चले कि अधिकांश देवी स्थानो पर केवल नारियल की बलि देने की व्यवस्था की गयी है ।










