
भास्कर ब्यूरो
पूरनपुर,पीलीभीत। ग्राम पंचायत रुद्रपुर में विधायक निधि से स्वीकृत इंटरलॉकिंग सड़क का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। UPSIC (उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं अवसंरचना निगम लिमिटेड), कानपुर के माध्यम से कराए जा रहे इस निर्माण की शुरुआत के कुछ समय बाद ही काम रोक दिया गया और अब तक दोबारा शुरू नहीं हो सका। गांव में सिर्फ आधे हिस्से तक ईंटें बिछी हैं, बाकी हिस्से पर आज भी धूल, गड्ढे और कीचड़ पसरे हुए हैं।
काम की शुरुआत के बाद ठप पड़ा निर्माण
जब कार्य शुरू हुआ तो ग्रामीणों में उम्मीद जगी थी कि अब खराब रास्तों से राहत मिलेगी। पर कुछ ही दूरी तक ईंटें डालने के बाद काम रुक गया। ना कोई जिम्मेदार अधिकारी आया, न ही विभागीय स्तर पर कोई निगरानी दिखी। UPSIC जैसी संस्था की यह चुप्पी अब खुद एक सवाल बन चुकी है।
कई बार किए गए वादे, नहीं हुए पूरे – अब किस पर करें भरोसा?
निर्माण कार्य से जुड़े पक्षों की ओर से पहले भी कई बार “काम जल्द पूरा होगा” जैसे वादे किए गए। लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला, हकीकत में सड़क वैसी की वैसी रही। अब जनता का भरोसा भी टूट चुका है – उसे ना वादों पर यकीन है, और ना ही ठेकेदार की बातों पर।
हाल ही में संबंधित पक्ष द्वारा एक बार फिर कहा गया है कि “निर्माण कार्य अगले 15 दिनों में पूरा कर दिया जाएगा।” लेकिन यह बयान भी गांववालों को पुराने वादों की याद दिलाता है, जिनका अंजाम अधूरी सड़कें और टूटी उम्मीदें रहीं।
समाप्त हो रही है निर्माण की समयसीमा
सबसे गंभीर बात यह है कि इंटरलॉकिंग सड़क के निर्माण की तय समयसीमा अब समाप्ति के करीब है। लेकिन ना तो विभाग की कोई सक्रियता दिख रही है, ना ही UPSIC द्वारा कोई जांच या कार्रवाई की बात सामने आई है। इससे सरकारी सिस्टम की निष्क्रियता एक बार फिर उजागर हो रही है।
गांव की सड़क बनी परेशानी का कारण
यह अधूरी सड़क हर मौसम में ग्रामीणों की परेशानी का सबब बनी हुई है। बरसात में रास्ता कीचड़ से भर जाता है और गर्मियों में धूल उड़ती है। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और बीमारों को भारी दिक्कत होती है। दोपहिया वाहन चालक अक्सर फिसल कर गिरते हैं। यह सड़क गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है और इसके अधूरेपन से पूरा गांव प्रभावित हो रहा है।
जनता की मांग – काम चाहिए, वादा नहीं
गांववालों का साफ कहना है कि अब किसी आश्वासन या बयानबाजी से बात नहीं बनेगी। या तो काम तुरंत शुरू हो और समय पर पूरा हो, या फिर संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। UPSIC कानपुर की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि उसके जिम्मे कार्य सौंपे जाने के बावजूद कोई जवाबदेही नहीं दिख रही।