
चौकी प्रभारी और सिपाही पर गिरी गाज़
गुडंबा क्षेत्र के बेहटा कस्बे में हुए पटाखा फैक्ट्री धमाके में हुई कार्यवाही
लखनऊ। राजधानी में जब कोई बड़ा हादसा होता है। तों पुलिस और प्रशासन की ऐसी नींद खुलती हैं। मानों अब क्या ना हो जाएं लेकिन कार्रवाही आकर छोटों तक सिमित हो जाती हैं। जैसा रविवार सुबह बेहटा गाँव में हुआ। जहां पर सिलसिलेवार एक मकान में संचालित पटाखा फैक्ट्री में इतने ब्लास्ट हुए की लोगों की रूह काँप गई। लोगों नें उस मकान की तरफ दौड़ लगाई तों देखा मलबे का ढेर हो चुका हैं। अंदर लोग फंसे हुए इतना सब हो रहा था। लेकिन पुलिस कोई ख़बर नहीं लगी लोगों नें ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बहरहाल आलम उसकी पत्नी मुन्नी की मौत हो गई दो अन्य गंभीर मेडिकल कॉलेज में इलाज जारी वही पड़ोसी तीन लोगो को पर मामूली चोटे आई थी। जिन्हें उपचार के बाद घर भेजा गया। हादसा पुलिस की नाकामी का नतीजा हैं। क्षेत्र में अवैध रूप से घर के अंदर बारूद से गोला बनाया जा रहा था। लेकिन कमज़ोर मुखबिर तंत्र को भनक तक नहीं लगी। लगे भी क्यों महीने हफ़्ते में एक गुडवर्क कर सब बराबर कर दिया जाता हैं। वही काफ़ी हैं कोतवाल साहब को क्षेत्र से क्या मतलब कारखास हैं ही सब देखने के लिए। आला अधिकारी भी छोटों पर कार्यवाही कर सख्त होने का संदेश दे देते हैं। जैसा आज हुआ चौकी इंचार्ज संतोष पटेल और बीट सिपाही धर्मेश को सस्पेंड कर प्रभारी साहब गुड़म्बा को बचाकर आग को ठंडा कर दिया गया।
वहीँ अवैध पटाखा संचालकों की हिम्मत देखिये हादसा होने के बाद जैसे ही पुलिस की सर गर्मी कम हुई तुरंत बाकि बचे बारूद और गोले को इधर उधर करने का प्रयास शुरू हो गया जिसमें दोबारा धमाका हुआ और बे जुबान गौवंश की जान चली गई अवैध पटाखा संचालक बेखौफ है। उन्हें पता हैं मामला ठंडा हो जाएगा तों फिर काम चालू पुलिस आएगी भी तों समझा कर चली जाएगी। फायर विभाग नें भी कभी शहर के क्षेत्रों में पता नहीं करने की जहमत उठाई की कितनी वैध और अवैध फैक्ट्री हैं। बस एक बात कही जाती हैं। गाँव के बाहर खुले मैदान में इन सब चीज़ो का संचालन किया जाए। मगर कभी ये नहीं सोचा की कौन लाइसेंस के मानक को पूरा कर रहा हैं। कि नहीं बस हादसा होने के बाद सख्त से सख्त कार्यवाही करने की बाते कर दिल को समझाया जाता हैं।
पूर्व में हुए पटाखा फैक्ट्री में धामकों के मामले
- साल 2004 में मोहनलालगंज के मऊ गांव में विस्फोट हुआ तीन लोग घायल।
- हुए 28 सितंबर 2006 को चिनहट में हुए विस्फोट जिसमें दो लोगों की मौत हुई।
- 12 अगस्त 2007 को काकोरी में पटाखे में आग लगने से एक बच्चे की मौत हुई।
- 9 अक्टूबर 2008- बंथरा में दशहरा मेले आतिशबाजी में विस्फोट, अयोध्या प्रसाद नाम के शख्स की मौत
- 17 अक्टूबर 2009 को चिनहट के मल्हौर रेलवे स्टेशन के फाटक पर पटाखे की बोरी में विस्फोट, दंपति की मौत।
- 18 जून 2012 को पारा में घर के भीतर विस्फोट, दो की मौत।
- 12 सितंबर 2012 को मोहनलालगंज के कनकहा गांव में विस्फोट, दो महिलाओं की मौत।
- 28 सितंबर 2012 को पारा क्षेत्र के बादल खेड़ा स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट दो की मौत।
- 27 अक्टूबर 2004 को गोसाईगंज में एक की मौत।
- 7 अक्टूबर 2004 को पीजीआई कल्ली पश्चिम में विस्फोट, तीन की मौत।
- मई 2008 को जैती खेड़ा चौराहे पर विस्फोट, एक की मौत।
20 सितंबर 2017 को मोहनलालगंज क्षेत्र स्थित सिसेडी निवासी आतिशबाज खलील के मकान में विस्फोट, खलील सहित आधा दर्जन लोगों की मौत हुई। इनती घटनाओं के बाद भी पुलिस और प्रशासन लापरवाह बना रहा और आज रविवार को बेहटा गांव में फिर एक अवैध पटाखा फैक्ट्री मलबे का ढेर गया।