
Chhatisgarh : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बुधवार को बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें 71 नक्सली शामिल हैं, जिनमें 21 महिला माओवादी भी हैं। महिला नक्सलियों ने कहा कि फोर्स के खौफ और अत्याचार के कारण वे मुख्य धारा में लौटने का निर्णय लिया है। कई महिलाएं अपने बच्चों के साथ सरेंडर करने पहुंचीं थीं।
दंतेवाड़ा में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में नक्सली एक साथ सरेंडर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह माओवादी विचारधारा से तंग आ चुके हैं और अपने परिवार के लिए शांति और सामान्य जीवन पसंद करते हैं।
अधिकारियों ने जानकारी दी कि आत्मसमर्पण करने वालों में प्लाटून नंबर दो के डिप्टी कमांडर बामन मड़काम भी शामिल हैं, जिनके सिर पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। 30 वर्षीय बामन मड़काम ने बताया कि माओवादी संगठन बच्चे पैदा करने के खिलाफ हैं। उसने अपनी कहानी सुनाते हुए कहा कि उसने अपनी ही प्लाटून की महिला सदस्य हिडमे कारम से शादी की थी, लेकिन शादी के बाद सीनियर कैडर ने स्पष्ट आदेश जारी किया कि शादी तो कर सकते हैं, लेकिन बच्चे नहीं हो सकते। इसके तुरंत बाद, उसकी नसबंदी कर दी गई थी।
महिला नक्सलियों ने भी कई बड़े राज खोलें। उन्होंने बताया कि बच्चे होने पर महिलाओं पर नक्सली संगठन का भरोसा आसान हो जाता है, क्योंकि उस समय उन्हें किसी शक का सामना नहीं करना पड़ता है। महिलाएं कहती हैं कि उन्हें माड़ इलाके में नक्सलियों के लिए खाने-पीने का इंतजाम करना होता था, और छोटे बच्चों के साथ आने-जाने में कोई संदेह नहीं किया जाता था, जिससे मदद आसान हो जाती थी।
महिला नक्सलियों ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में फोर्स का प्रभाव बढ़ गया है। लगातार कार्रवाई से नक्सली डर गए हैं कि कहीं फोर्स की गोली का शिकार न बन जाएं। इसीलिए, उन्होंने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सरेंडर करने का फैसला किया है।
यह सरेंडर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा और शांति की दिशा में बड़ी पहल मानी जा रही है, जिससे नक्सली संगठनों को बड़ा झटका लगा है।
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