Navratri 2025 : सोनाड़ी मां के मंदिर में त्यागा था बुद्ध ने राजसी पोशाक

  • भगवान बुद्ध से जुड़ी है माता सोनाड़ी देवी की महिमा
  • मान्यता के अनुसार दर्शन के बाद बुद्ध ने यही पर त्यागा था राजसी पोशाक
  • दो चीनी यात्री हवेनसांग और फाहयान ने अपने यात्रा वृतांत में भी मंदिर का जिक्र किया था
  • वर्तमान समय में सोनाड़ी मां का भव्य मंदिर है गोरखनाथ मंदिर की देख रेख में होता है काम,सभी भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं मां

भास्कर ब्यूरो

चौक बाजार, महराजगंज। जिले के नगर पंचायत चौक के दक्षिणी रेंज जंगल स्थित मां सोनाड़ी देवी का मंदिर आस्था का केंद्र है। नवरात्रि (Navratri 2025) में यहां भक्तों की लंबी भीड़ लगती है। दो चीनी यात्री हवेनसांग और फाहयान ने अपने यात्रा वृतांत में भी मंदिर का जिक्र किया हैं। बताया है कि भगवान बुद्ध लुंबिनी से चले थे तो अपने ननिहाल ( देवदह ) आए। वह आज बनरसिहा के नाम से प्रसिद्ध हैं। वहां से पुनः अपनी मां के ननिहाल ( रामग्राम ) गए। वह इस समय नाथनगर जंगल स्थित कन्हैया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। भगवान बुद्ध माता सोनाड़ी देवी के दर्शन के लिए आए थे। उस समय सोनाड़ी देवी विशाल बरगद वृक्ष की झांकी में पिंडी के रूप में साक्षात विद्यमान थी। माता सोनाड़ी देवी का दर्शन करने के बाद अपना राजसी पोशाक त्याग कर तपस्या के लिए बोध गया चले गए।

कुष्ठ रोग से ठीक हो गए थे बनारस के राजाराम

करीब चार हजार वर्ष पहले सोनाड़ी देवी स्थान पर जंगल नहीं था। हथिया हथसार नमक स्थान पर गांव बसा था। कुष्ठ रोग से पीड़ित राजाराम बनारस से निष्कासित हुए थे। उनके कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने करीब चार हजार वर्ष जंगल में जाकर जड़ी बूटी इक्कठा कर कुष्ठ रोग के उपचार के लिए दवाएं तैयार की थी। यहां आने के बाद माता की सेवा कर रोग मुक्त हो गए। उसके बाद राजाराम ने गणराज्य की स्थापना की।कुछ समय बाद गांव में भयंकर महामारी आई। इस महामारी के डर से सभी लोग पलायन कर गए। कोलियवंश के राजा निचलौल ने जा कर बस गए। प्रजा भी दूसरे स्थान पर चले गए। जगह जगह धरती धसने लगी बाद में वह ताल का रूप धारण कर ली। आज भी जंगल में चार ताल मौजूद हैं। उस भयंकर महामारी के दौर में भी मां सोनाड़ी देवी का स्थान सुरक्षित बचा रहा। उसी समय से सोनाड़ी देवी का महात्म्य बढ़ता गया।

महंथ अवैद्यनाथ ने मंदिर का कराया था निर्माण

मां सोनाड़ी देवी की महात्म्य की जानकारी गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के महंथ अवैद्यनाथ को हुई। इसके बाद उन्होंने ने मंदिर से बलरामनाथ पुजारी को 1974 में पूजा अर्चन करने के लिए भेजा। करीब बयालीस वर्ष पहले महंथ अवैद्यनाथ ने सोनाड़ी देवी के भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया। बाबा पुजारी बलरामनाथ 56 वर्ष से मां सोनाड़ी देवी की अराधना में लीन हैं। बाबा बलरामनाथ पुजारी सोनाड़ी देवी मंदिर का कहना है कि हर वर्ष नवरात्र में साधु संतों व श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में काफी जुटती हैं। मंदिर का प्राची इतिहास होने के कारण दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।

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