
Narnaul : नारनौल के रहने वाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता के चिकित्सक के बेटे की शादी चर्चा का विषय बन गई है। इस शादी में केवल 20 बारातियों को ही ले जाया गया। दान में केवल एक रुपये ही लिया गया। पांच गाड़ियों में नारनौल से भरतपुर पहुंची बारात का वधू पक्ष से न केवल गर्मजोशी से स्वागत किया। दुल्हन के फूफा प्रोफेसर पुरुषोत्तम ने इस बात पर खुशी जताई कि उनके समाज में पहली एेसी शादी है, जिसमें दान में केवल एक रुपया लिया है। दूल्हे के पिता धर्मपाल चौधरी ने अनुसरणीय पहल की है। इसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।
दूल्हन पक्ष की ओर से कन्यादान में पांच सौ रुपये देने का प्रयास किया गया, लेकिन वह एक रुपया ही लेने पर अड़ गए। आखिरकार उन्हें एक रूपया ही दिया गया। इस शादी की खासियत यह भी रही कि धर्मपाल चौधरी ने महंगे निमंत्रण कार्ड छपवाए ही नहीं। न कोई बड़ा तामझाम किया। न ही वाद्य यंत्रों के सामने नाच गाकर धमाल करने दिया। शादी में शराबी व्यक्तियों को निमंत्रण ही नहीं दिया गया। यदि कोई आ भी गया तो उसे बारात में नहीं ले जाया गया। सेना से सेवानिवृत रहे धर्मपाल चौधरी ने अपने असूलों से कोई समझौता नहीं किया, भले ही कोई नाराज क्यों न हो जाए। इससे पहले उन्होंने अच्छी पहल करते हुए निमंत्रण केवल पीले चावल देकर ही दिया। बारात में 20 गणमान्य नागरिकों को ही शामिल किया गया था। आल इंडिया एक्स सर्विस मैन वेलफेयर सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मपाल चौधरी के पुत्र डा. दिजेंद्र की शादी दहेज रहित करने पर काफी लोगों ने सराहना की है। उनका कहना है कि समाज में इस तरह की पहल से दहेज प्रथान पर रोक लगेगी, वहीं कोई गरीब पिता कर्ज लेकर दहेज के बोझ तले नहीं दबेगा। आमतौर पर देखने में आता है कि महंगे निमंत्रण कार्ड दिखावटी शान शौकत बनवा तो लिए जाते हैं, लेकिन शादी के अगले ही दिन ये कार्ड रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं।

ऐसे में एक एक कार्ड की कीमत 100 से लेकर एक हजार रुपये तक होती है और यह पैसा और कागज दोनों की बर्बादी होती है। कागज की बर्बादी से पर्यावरण को भी भारी नुकसान होता है।
डा. दिजेंद्र की शादी दो नवंबर को भरतपूर में आयोजित की गई है। दुल्हन रीना पेशे से शिक्षिका है आरएएस (राजस्थान एडमिस्ट्रेशन सर्विस) की तैयारी कर रही हैं।
एडवोकेट प्रमोद तरेडिया ने कहा कि धर्मपाल चौधरी ने दहेज प्रथा जैसी बुराई को समाप्त करने की अच्छी पहल की है। उन्होंने पीले चावल से निमंत्रण देकर भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य किया है, यह बहुत ही सराहनीय है। हर व्यक्ति को इस तरह की बगैर खर्चे की शादियां करने की जरूरत है। आज के समय में इस तरह की शादियों की जरूरत है। देश में लाखों केस दहेज प्रताड़ना के दर्ज हो रहे हैं। एेसे में दहेज प्रथा को समाप्त करने की जरूरत है। समाज के प्रबुद्धजीवियों को इसको लेकर पहल करनी होगी, तभी हम समाज में बदलाव कर सकते हैं। धर्मपाल चौधरी ने कहा कि जिस समाज मैं खुद आता हूं, उसमें लंबे समय दहेज प्रथा बुरी तरह जड़े जमाए हुए है। इससे गरीब व्यक्ति को भी कर्ज करके भी अपने मान सम्मान के लिए बेटियों की शादी दहेज देकर करनी पड़ती। यह निश्चित पर पीड़ादायक है। झूठे मान सम्मान के लिए दहेज लेकर की गई शादी सम्मान की बजाए एक दिन घुटन का मुद्दा बन जाती है। उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए दूल्हा पक्ष की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। यदि दूल्हा दहेज की मांग नहीं करेगा तो निश्चित तौर से एक समय आएगा और बेटियों को दहेज की बलि बनने से रोका जा सकेगा। उपायुक्त कैप्टन मनोज ने भी इस तरह के प्रयास की सराहना की ।















