नरसिंहानंद ने हिंदुओं से कहा: इजरायल की तरह हिंदू भी बना लें ‘सनातन वैदिक राष्ट्र’ 

हरिद्वार: आनंद भैरव घाट श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े से शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बांग्लादेश में जघन्य हिंदू नरसंहार पर आक्रोश व्यक्त किया और भारत के हिंदुओं काे बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिंदुओं के हाल से शिक्षा लेने का आह्वान किया। साथ ही महाराजश्री ने कहा कि इजरायल की तरह हिंदुओं काे भी सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना चाहिए।

जूना अखाड़े के कोठारी श्रीमहंत महाकाल गिरी व अन्य संतों के साथ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में आर्मी और पुलिस के साथ मिलकर मुस्लिम समुदाय हिंदुओं का भीषण नरसंहार कर रहे हैं। इस्कॉन के निरपराध चिन्मयदास प्रभु को जेल में डालकर बांग्लादेश की सरकार ने संपूर्ण विश्व के हिंदुओं को उनकी औकात बताई है। अगर ऐसा किसी देश ने किसी यहूदी के साथ किया होता तो इजरायल उस देश पर अब तक आक्रमण कर चुका होता और उस यहूदी को बचाकर ले गया होता।

अगर भारत का प्रधानमंत्री कोई मुसलमान बना ताे…

नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि अगर हम हिंदुओं के पास भी अपना कोई राष्ट्र होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित किसी भी देश में हिंदुओं की दुर्गति ना हुई होती। हमने असीमित साधन और बलिदान देकर श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनाया परंतु यह श्रीराम मंदिर मुस्लिम जिहादियों की भीड़ के द्वारा उसी दिन तोड़ दिया जाएगा जिस दिन भारत का प्रधानमंत्री कोई मुसलमान बनेगा।

श्रीराम मंदिर आंदाेलन की तर्ज पर सनातन वैदिक राष्ट्र के लिए आंदाेलन की बताई जरूरत

उन्हाेंने कहा कि मुस्लिमों की भयानक रूप से बढ़ती आबादी को देखते हुए यह अब ज्यादा दिन की बात नहीं है। अगर श्रीराम मंदिर के स्थान पर यह आंदोलन अगर सनातन वैदिक राष्ट्र के लिए किया जाता तो हमें लव जिहाद, गौ रक्षा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ या संभल के हरिहर मंदिर की चिंता नहीं करनी पड़ती क्योंकि ये तो सब हमें मिल ही जाता, लेकिन हमने छोटी बातों पर तो आंदोलन किए पर असली समस्या पर कभी आवाज ही नहीं उठाई और इस अभूतपूर्व दुर्गति को प्राप्त हुए।

शरिया कानून की ओर चल पड़ा है भारतवर्ष

नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि हमें समझना चाहिए कि अब हिंदुओं की यह अंतिम शरणस्थली भारतवर्ष बहुत तेजी से शरिया कानून की ओर चल दिया है, जहां न तो कोई मंदिर बचेगा और न ही कोई मंदिरों में पूजा करने वाला। इस विषय को न तो कोई हिंदू नेता उठा रहा है, न ही कोई हिंदू धर्मगुरु और न ही कोई हिंदू संगठन उठा रहा है। इस गंभीर विषय को उठाने के लिए 19 से 21 दिसंबर को आनंद भैरव मंदिर जूना अखाड़े में तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान जूना अखाड़े के सन्यासियों के साथ डॉ. उदिता त्यागी और यति अभयानंद भी उपस्थित थे।

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