
नई दिल्ली। देश के उच्च सदन राज्यसभा में हंगामा जारी है। नई शिक्षा नीति और मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान पर मंगलवार को भी राज्यसभा में गरमा-गरमी देखने को मिली। कुछ दिन पहले, नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके को असभ्य और अलोकतांत्रिक पार्टी करार दिया था। इस बयान पर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निंदा की और जब उन्हें उपसभापति की ओर से बोलने से रोका गया, तो खड़गे ने कहा कि यहां तानाशाही चल रही है।
इसके बाद जब सभापति ने उन्हें फिर से रोका, तो खड़गे ने कहा, “क्या-क्या ठोकना है, हम ठीक से ठोकेंगे, सरकार को ठोकेंगे।” खड़गे ने आगे कहा, “अगर तमिलनाडु की जनता को मंत्री धर्मेंद्र प्रधान असभ्य कहेंगे, उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचाने का काम करेंगे, तो ऐसे मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए। ये लोग देश को तोड़ने की बात करते हैं।”
जेपी नड्डा ने खड़गे के बयान की निंदा की और कहा कि यदि उन्होंने सरकार की नीतियों पर इस तरह की टिप्पणी की है, तो इसे सदन की कार्यवाही से हटा देना चाहिए। नेता सदन जेपी नड्डा ने खड़गे की भाषा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस प्रकार की भाषा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके लिए खड़गे को माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद सत्तापक्ष के सांसद नारेबाजी करने लगे।
राज्यसभा में स्थिति शांत होने के बाद खड़गे ने खड़े होकर कहा, “मैंने आसन के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। अगर मेरी बातों से आपको ठेस पहुंची है, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। लेकिन मैंने ‘ठोको’ शब्द का इस्तेमाल सरकार की नीतियों के संदर्भ में किया था, हम सरकार की नीतियों को ठोकेंगे।” खड़गे ने कहा कि वह उपसभापति से माफी के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार से माफी नहीं मांगेंगे।
सदन में हंगामा शांत होने के बाद कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी ने शिक्षा मंत्रालय से संबंधित मुद्दों पर बोलना शुरू किया, जिस पर आसन ने अपने निर्णय के तहत चर्चा की अनुमति दी।