मुंडका अग्निकांड : डर के साये में जी रहे हैं लोग, अब तक यह हुई कर्रवाई

नई दिल्ली। बाहरी जिले के मुंडका इलाके में हुए भीषण अग्निकांड में 27 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद स्थानीय लोग डर के साये में जी रहे हैं। इस मामले में सियासी तपिश भी तेजी से बढ़ रही है। अग्निकांड के बाद मुंडका के अंदर हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं।

एक तरफ मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोगों के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर डर है तो विभिन्न राजनीतिक दल इस हादसे का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने पर लगे हुए हैं।

जानकारी के अनुसार, मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार से ज्यादा ऐसी फैक्ट्रियां हैं जहां नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। फैक्ट्रियों में हर रोज लोग जान हथेली पर रखकर काम करते हैं। अगर इन सभी फैक्ट्रियों को बंद करवाया गया तो हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

वहीं, मुंडका अग्निकांड के पांचवें दिन वहां काम करने वालों से बातचीत की गई तो लोगों ने कहा कि बीते दिनों हुई यह भयावह घटना हादसा प्रशासन, इमारत और फैक्ट्री मालिक की लापरवाही के चलते हुई। भाग्य विहार निवासी राजेश ने बताया कि हादसे के बाद लोगों के मन में जहां अपनी सुरक्षा को लेकर डर है, वहीं लोग इसी असुरक्षित माहौल में काम करने के लिये मजबूर भी हैं।

उनका कहना है कि फैक्टरी के अंदर सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं होता। यहां कुछ फैक्ट्रियों में तो खिड़कियां तक नहीं हैं। कुछ फैक्ट्रियों में खिड़कियां हैं तो फायर एक्सटिंग्विशर और फायर फाइटिंग का कोई सिस्टम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।

लोगों ने बताया कि प्रशासन ने 48 घंटे में सर्वे करने की बात कही है, जिसके बाद एक्शन लिया जाएगा। अच्छी बात है सर्वे हो लेकिन ग्राउंड लेवल पर आज तक नगर निगम को सर्वे करते नहीं देखा। अगर सर्वे के बाद नियमों के उल्लंघन को लेकर फैक्ट्रियां बंद की गई, तो वह भी ठीक नहीं होगा।

पहले ही कोरोना के कारण लेबर क्लास आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। अगर फैक्ट्रियां बंद हो गई तो दैनिक कमाई बंद हो जाएगी और लोग सड़कों पर आ जाएंगे। मुंडका के रहने वालों का कहना है कि यहां काम करने वाले एक हेल्पर का महीने का वेतन आठ हजार है जबकि कारीगर का वेतन 15 हजार है जो दिल्ली सरकार द्वारा तय किए गए मानकों से काफी कम है, यह सीधे नियमों का बड़ा उल्लंघन है।

अब तक यह हुई कर्रवाई

मुंडका अग्निकांड मामले में गिरफ्तार बिल्डिंग मालिक मनीष लाकड़ा को अदालत ने दो दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर घटनाक्रम से जुड़े तथ्यों को जुटाने में लगी है। पुलिस जांच में आरोपित मनीष और उसके परिवार की कई संपत्तियों का पता चला है। इनमें एक संपत्ति विदेश में भी बताई जा रही है।

मामले की छानबीन के दौरान पुलिस व एफएसएल की टीमों ने अब तक कुल 26 लोगों के डीएनए सैंपल इकट्ठा कर लिये। एक शव का डीएनए सैंपल नहीं लिया जा सका है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मंगलवार को इस प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया जाएगा।

एसएचओ खुद बने हैं शिकायतकर्ता

मुंडका थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर गुलशन नागपाल की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। इस एफआईआर में लिखा गया है कि शनिवार शाम पौने पांच बजे पीसीआर कॉल के जरिए इस घटना की सूचना पुलिस को मिली।

थाने का पुलिसकर्मी मेन रोहतक रोड स्थित प्लॉट नंबर 193 पर बनी एक बिल्डिंग के पास पहुंचा, जहां पहले से लोग नीचे जमा थे। मेन रोड की तरफ शीशे की खिड़की तोड़कर कुछ लोग नीचे उतर चुके थे। इसके बाद मौके पर दमकल कर्मी, एनडीआरएफ स्टाफ और अन्य एजेंसियों को भी बुलाया गया।

एफआईआर के अनुसार जिस बिल्डिंग में आग लगी, वह पांच सौ स्क्वायर यार्ड में बनी हुई है, जिसमें बेसमेंट से लेकर चार मंजिल तक का निर्माण है। इसके ऊपर आधे हिस्से में रिहायशी फ्लैट बना हुआ है। बिल्डिंग का मालिक मनीष लाकड़ा है, जिसके पिता बलजीत लाकड़ा की मौत हो चुकी है। बिल्डिंग में बेसमेंट बना हुआ है। ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें हैं। जबकि पहली से तीसरी मंजिल तक प्राइवेट कंपनी का ऑफिस है।

इसमें सीसीटीवी कैमरे, सिम, राउटर पार्ट्स की असेम्बलिंग इंपोर्ट करके ट्रेडिंग की जाती है। कंपनी के मालिक पीतमपुरा निवासी हरीश गोयल और उसका भाई वरुण गोयल हैं। इस कंपनी में लगभग 100 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें 50 महिलाएं हैं। शुक्रवार को इस ऑफिस में मोटिवेशनल प्रोग्राम होने के कारण सभी कर्मचारी दूसरी मंजिल पर मौजूद थे।

आग लगने के बाद अंदर फंसे कुछ लोग फ्रंट साइड पर शीशे तोड़कर मेन रोड की तरफ से कूदकर बाहर निकले। आग के कारण काफी लोग बिल्डिंग में ही फंसे रह गए। बिल्डिंग में आने-जाने का केवल एक ही रास्ता था। वह भी गली की तरफ है।

आग बुझाने के बाद एफएसएल और दमकलकर्मी दूसरी मंजिल पर पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में शव मिले। यहां से कुल 27 शवों को निकाल एसएचएम हॉस्पिटल की मॉर्चरी में भिजवाया गया। इस हादसे में घायल हुए सतीश कुमार, प्रदीप कुमार, आशु, संध्या, धनवंती, बिमला, हरजीत, आयशा, नितिन, ममता देवी, अविनाश और एक अज्ञात शामिल हैं। ये सभी दिल्ली के अलग- अलग इलाकों के रहने वाले हैं। हॉस्पिटल से कुल 39 लोगों की एमएलसी हुई थी, जिनमें घायल और मृत दोनों ही शामिल हैं।

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