महाकुम्भ : विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महाकुंभ मेला 13 जनवरी से प्रयाग में शुरू हो जाएगा। देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में तीर्थयात्री संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाएंगे। कुंभ मेले में 3 नदियों का संगम, नागा संन्यासी, लाखों की संख्या में कल्पवासी और संगम की रेती में बने टेंट की भव्यता देखने लायक होती है।
इसके अलावा कुंभ मेले में कई सदियों पहले आने वाले देश-विदेश से तीर्थ यात्रियों का पूरा लेखा जोखा रखने वाले पंडा समाज भी सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचता है। सदियों पुरानी वंशावली को खोजने के मामले में तो प्रयाग के पंडों के सामने आधुनिक तकनीक और सर्च इंजन भी फेल हो जाता है। इन पंडा समाज के पास उन सभी का लेखा-जोखा मिल जाता है तो कभी न कभी सदियों सालों पहले प्रयाग आए हुए होंगे। प्रयाग के पंडों के पास देश के प्रसिद्ध नेताओं गांधीजी, नेहरू, पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि की वंशावलियां का रिकार्ड है।
इन पंडों के पास कई पीढ़ियों के हस्तलिखित दस्तावेज आज भी मौजूद हैं, जो इसकी प्रामाणिकता और मौलिकता को अधिक बल देते हैं। प्रयागराज के कीडगंज में रहने वाले पीली कोठी वाले पंडा जी ने बताया कि हम बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से अपने यजमानों का साक्ष्य (सबूत) रखते हैं। हमारी पांचवी पीढ़ी अब यह कार्य कर रही है। यानी पांच पीढ़ियों से लगातार हम इस कार्य में अग्रसर हैं।
पेटी हमारा अनमोल खजानापण्डा गगन भारद्वाज ने बताया कि, झण्डे पर बना निशान हमारी पहचान है, इसके साथ ही इस पेटी पर लिखा शब्द हमारा ट्रेडमार्क है यह पेटी हमारा अनमोल गहना है, क्योंकि इसमें हम अपने जजमानों का लेखा-जोखा रखते हैं। हमारा यजमान कौन है यह हम उनके क्षेत्रीय भाषा और पहनावे के हिसाब पहचान लेते हैं। उसके बाद हम उनके दादा, परदादा तक के हस्ताक्षार अपने पोथी में दिखा कर बता देते हैं कि हम ही आपके यहां के कुल पुरोहित हैं।
रजिस्टर में रखते हैं यजमान का पूरा लेखा जोखाइन पण्डों का क्षेत्र भी बहुत बड़ा है और यजमान ज्यादा होने के कारण ये एक रजिस्टर में अपने यजमानों के पूरे खानदान को लेखा-जोखा रखते हैं। यजमानों का स्थान और जाति का नाम सुनते ही वो उनके पिता, दादा, परदादा का नाम तुरंत बता देते हैं। इस रजिस्टर में कम से कम 150 वर्षों का रिकार्ड दर्ज है।
मुनीम तैयार करता है पोथीयही नहीं अपने पोथी को तैयार रखने के लिए एक मुनीम रखते हैं, जिसका प्रमुख कार्य आने वाले यजमानों की सूची तैयार करना होता है। खास बात तो यह कि आज भी ये पण्डे हिन्दू कैलेंडर का उपयोग करते हैं। पण्डों के पास आने वाले यजमानों को दिक्कत न हो इसके लिए वे स्टेशनों पर सेवक रखते हैं, जो यजमानो को पुरोहित के पास सकुशल पहुंचा देते हैं।
पंडों के पास 500 वर्षो की वंशावलियों है सुरक्षितप्रयाग के पंडों के पास 500 वर्षों की वंशावलियों के ब्योरे बही खातों में पूरी तरह सुरक्षित हैं, जिसे हम कभी भी देख सकते हैं। इस पंडों के पास आज भी महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डाक्टर राजेंद्र प्रसाद, आचार्य नरेंद्र देव, सुचेता कृपलानी के वंशावली की दस्तावेज मौजूद है। पलभर भी ही ये पंडे अपने बही खाते से अपने यजमान की सारी जानकारी बता देते हैं।
यजमानों के तीन दस्तावेज करते हैं तैयारपंडा मातादीन ने बताया कि, पंडा समाज यजमानों के लेखे जोखे के विवरण के लिए तीन दस्तावेज तैयार करते हैं। पहली दस्तावेज घर में सुरक्षित रखते हैं। दूसरे दस्तावेज यजमानों को दिखाई जाती है। तीसरी तीर्थ स्थल पर लोहे के संदूक में रखी जाती है।
भगवान राम के पंडों के हैं यहां वंशजपंडा अजय कुमार के अनुसार, प्रयाग में ऐसे पंडों का वंशज आज भी यहां पर मौजूद है जिन्होंने भगवान राम के पिता का पिंडदान किया था और उन्हें रघुकुल का पुरोहित माना गया। 1957 की गदर क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मी बाई 3 दिनों तक तीर्थ पुरोहित के घर बिताई थी जिसकी ब्योरा इन पंडों के पास आज भी सुरक्षित है।
कम्प्यूटर में नहीं रखते जजमानों का रिकार्डडिजिटल और तेज रफ्तार युग में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के बावजूद तीर्थराज प्रयाग के तीर्थ पुरोहितों द्वारा अपनी पोथियों में अपने जजमानों का पीढ़ी दर पीढ़ी तमाम ब्यौरा पुरातन तरीके से ही सहेजा जा रहा है। गौरी शंकर हाथी छाप चिह्न के तहत जजमानी करने वाले तीर्थ पुरोहित सूरज कुमार ने पंडों द्वारा आईटी का उपयोग नहीं करने के बारे बताया, हार्ड डिस्क की अपनी सीमा और लाइफ होती है। हार्ड डिस्क के खराब होने पर कई पीढ़ियों के डाटा खत्म होने का खतरा है।
राज्य के हिसाब से रखते हैं जजमानों की पोथीवरिष्ठ पंडा गगन भारद्वाज ने बताया कि, इसके अलावा, हमारे यजमान बही खातों में अपने पूर्वजों का नाम आदि देखकर बहुत खुश होते हैं और अलग अलग बही खाते होने से एक साथ कई यजमानों को ब्यौरा दिखाया जा सकता है, जबकि एक लैपटॉप से एक ही यजमान को ब्यौरा दिखाया जा सकेगा।