
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश): इस बार प्याज की बंपर फसल ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने की बजाय चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं। मंडियों में 2 रुपये से लेकर 12 रुपये प्रति किलो तक बिक रही प्याज ने किसानों को घाटे में डाल दिया है। आलम यह है कि लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है।
मंडी में सिर पकड़ कर बैठ रहे किसान
प्याज लेकर मंडियों में पहुंचे किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी मेहनत की उचित कीमत नहीं मिल रही। किसान जमील मंसूरी बताते हैं, “आधा एकड़ में प्याज लगाई थी, 35,000 रुपये की लागत आई। लेकिन अब जो भाव मिल रहा है, उससे लागत भी नहीं निकल रही।”
“प्याज उगाई, लेकिन अब समझ नहीं आ रहा क्या करें”
किसान मेहेतु चंद्रवंशी ने कहा, “प्याज की फसल इस बार अच्छी हुई है लेकिन रेट सुनकर दिमाग खराब हो जाता है। मजदूरी के खर्च, बीज, सिंचाई और ट्रांसपोर्ट के बाद हमें 20 रुपये किलो की उम्मीद थी, लेकिन मिल रहे हैं केवल 2 से 12 रुपये किलो।”
महंगी लागत, सस्ते दाम: किसान कैसे टिके?
प्याज की खेती करने वाले अधिकांश किसानों का कहना है कि जब फसल अच्छी होती है, तब भी वे परेशान रहते हैं क्योंकि बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी कोई गारंटी नहीं है। इस बार की गिरती कीमतों ने उन्हें कर्ज के दलदल में धकेल दिया है।
कृषि वैज्ञानिक की सलाह
रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार पराड़कर ने कहा, “बारिश के मौसम में खेतों में जलभराव से बचाव जरूरी है, नहीं तो प्याज सड़ने लगती है। किसानों को प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग कर फसल को बचाना चाहिए।”
किसानों की मांग: मिले ₹20 प्रति किलो का भाव
किसानों का कहना है कि सरकार को हस्तक्षेप कर कम से कम ₹20 प्रति किलो का समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके और उन्हें घाटे से उबारा जा सके।