MP : मोरिंगा बना अशोकनगर के कुपोषित बच्चों के लिए वरदान, हज़ारों बच्चे हुए स्वस्थ

अशोकनगर : मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में कुपोषण के खिलाफ चल रही जंग में अब नई आशा की किरण जगी है। जिले के कलेक्टर आदित्य सिंह के नवाचार और दृढ़ संकल्प ने हजारों कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर पोषण की राह पर ला खड़ा किया है। यह सफलता किसी चमत्कार से कम नहीं, बल्कि उनके द्वारा अपनाए गए मोरिंगा आधारित पोषण मॉडल का परिणाम है।

दरअसल, अशोकनगर जिले में चल रहा यह प्रयोग अब पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है। जिस तरह से कलेक्टर आदित्य सिंह ने स्थानीय संसाधन मोरिंगा को पोषण अभियान से जोड़ा है, वह सरकारी योजनाओं के नवाचारपूर्ण क्रियान्वयन का उत्कृष्ट उदाहरण है। एक माह के भीतर हजारों बच्चों का तंदुरुस्त होना प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण होने के साथ आज ये संदेश भी देता है कि यदि इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता साथ हो, तो कुपोषण जैसी समस्या का स्थायी समाधान संभव है।

कुपोषण की भयावह तस्वीरमहिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक जून से 15 जुलाई 2025 तक किए गए सर्वेक्षण में जिले की 1122 आंगनबाड़ी केंद्रों पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सर्वेक्षण में 1584 बच्चे अति कुपोषित तथा 6885 बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए। यानी कुल 8469 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में थे। सर्वेक्षण से पहले यह संख्या 4706 थी, जो लगभग दोगुनी बढ़ोतरी दर्शाती है। यह स्थिति जिले के लिए अत्यंत चिंता का विषय थी।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर आदित्य सिंह ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि मोरिंगा (सेहजन) एक प्राकृतिक वरदान है, जिसमें विटामिन, खनिज, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह शरीर को आवश्यक पोषण देने वाला ‘सुपर फूड’ है। हालांकि चुनौती यह थी कि मोरिंगा स्वाद में कड़वा होता है, जिससे बच्चों को इसे खिलाना कठिन था। लेकिन कलेक्टर सिंह ने पेटेंटेड मोरिंगा पाउडर प्रोडक्ट मंगवाकर बच्चों के स्वाद के अनुरूप तैयार कराया और इसे जिले की आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित करवाया।

मोरिंगा वितरण और सेवन की प्रक्रियामहिला एवं बाल विकास विभाग की जिला अधिकारी चन्द्रसेना भिड़े ने बताया कि 18 से 25 सितम्बर 2025 तक जिले के सभी केंद्रों में 8469 अति व मध्यम कुपोषित बच्चों के साथ-साथ करीब 1500 संभावित कुपोषित बच्चों को भी शामिल किया गया। प्रत्येक बच्चे को एक किलो मोरिंगा पाउडर वितरित किया गया। शुरुआत में बच्चों को आधा चम्मच मोरिंगा पाउडर 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिया गया। बाद में बच्चों की पसंद के अनुसार इसकी मात्रा एक चम्मच पाउडर और 100 ग्राम पानी तक बढ़ाई गई।

चमत्कारिक परिणाम आया सामने, दिखा एक माह में असरकेवल एक माह के भीतर मोरिंगा के सेवन से आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए। 10 हजार बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि 95 फीसदी बच्चों के वजन में बढ़ोतरी हुई। इनमें से 50 फीसदी बच्चे कुपोषण से बाहर आ गए। इस संबंध में विस्तृत आंकड़ों के अनुसार 1584 अति कुपोषित बच्चों में से 316 बच्चे (19.9%) पूरी तरह कुपोषण से मुक्त हुए। 6885 मध्यम कुपोषित बच्चों में से 922 बच्चे (13.4%) सामान्य वजन की श्रेणी में आ गए।

कुल 8469 बच्चों में से 7.3% बच्चों के वजन में 500 से 800 ग्राम तक और 22.2% बच्चों के वजन में 200 से 400 ग्राम तक की वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद 24 अक्टूबर 2025 को किए गए पुनः परीक्षण में स्पष्ट हुआ कि मोरिंगा सेवन से बच्चों की शारीरिक वृद्धि, ऊर्जा स्तर और रोग प्रतिरोधक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

हृदय अभियान से जुड़ा मानवीय पहलूयह पूरा अभियान ‘हृदय’ परियोजना के अंतर्गत संचालित किया गया, जिसका उद्देश्य कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण की मुख्यधारा में लाना है। कलेक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि उनका लक्ष्य केवल बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना ही नहीं, बल्कि उन्हें दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा देना है ताकि वे भविष्य में भी तंदुरुस्त रहें।

उल्‍लेखनीय है कि आज जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे पहले से कहीं अधिक ऊर्जावान और प्रसन्न नजर आ रहे हैं। अभिभावक भी इस परिवर्तन को देखकर उत्साहित हैं। कई माताओं ने बताया कि अब उनके बच्चे भोजन में रुचि लेने लगे हैं और बीमारियां भी कम हो गई हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें