
Siddharthnagar : डुमरियागंज सांसद जगदम्बिका पाल ने लोकसभा में नियम 377 के तहत भारत सरकार द्वारा भगवान बुद्ध से संबंधित पिपरहवा अवशेषों की वापसी में किए गए ऐतिहासिक प्रयासों की सराहना करते हुए इन्हें उनके मूल स्थल कपिलवस्तु संग्रहालय, सिद्धार्थनगर में स्थापित किए जाने का अनुरोध किया।
पाल ने कहा कि सिद्धार्थनगर के पिपरहवा क्षेत्र में 1898 में खोजे गए ये पावन अवशेष भारत और विश्वभर के करोड़ों बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय धरोहर हैं। उन्होंने स्मरण दिलाया कि मई 2025 में जब ये अवशेष हांगकांग की Sotheby’s नीलामी सूची में शामिल किए गए थे, तब यह भारत की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा के लिए गंभीर चुनौती थी। उस समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने त्वरित और निर्णायक हस्तक्षेप करते हुए नीलामी को रुकवाया और अवशेषों को सम्मानपूर्वक भारत वापस लाकर विश्व को सांस्कृतिक संप्रभुता का सशक्त संदेश दिया।
पाल ने यह भी कहा कि इन अवशेषों को भूटान में आयोजित विशेष प्रदर्शनी के लिए भेजना भारत-भूटान मैत्री, बौद्ध विरासत संरक्षण और हमारी साझा आध्यात्मिक परंपराओं को नई ऊँचाई देने वाला कदम है—जो वैश्विक स्तर पर भारत की उभरती “सॉफ्ट पावर” का स्पष्ट उदाहरण है।
अंत में, उन्होंने आग्रह किया कि इन पवित्र अवशेषों को उनके मूल स्थल सिद्धार्थनगर में पुनः स्थापित किया जाए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और बौद्ध परिपथ को नया प्रोत्साहन मिलेगा और सिद्धार्थनगर वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर अपने योग्य स्थान को प्राप्त करेगा।










