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-भाजपा पार्षद ने राज्यपाल से की सीबीआई व कैग से जांच की मांग
-भाजपा पार्षद ने राज्यपाल से की सीबीआई व कैग से जांच की मांग
गाजियाबाद राजनगर स्थित विश्व स्तरीय इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी )को गाजियाबाद कास प्राधिकरण (जीडीए ) द्वारा आवंटित की गयी जमीन के मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ व उनके परिजनों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं । दरअसल आईएमटी जिस जमीन पर बना हुआ है वास्तव में यह जमीन इसे आवंटित ही नहीं की गयी बल्कि यह जमीन लाजपत स्मारक महाविधालय की जमीन है । बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद राजेंद्र इन अनियमितताओं का खुलासा करते हुए जीडीए के तत्कालीन अधिकारियों और आईएमटी के प्रबंधकों सीबीआई व कैगसे जांच कराने की मांग प्रदेश के राज्य्पाल से की है। त्यागी ने आरोप है कि लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी को आवंटित करीब एक हजार करोड़ रुपये कीमत की जमीन पर आईएमटी ने अवैध कब्जा किया हुआ है ।
उन्होंनेउन्होंने बताया कि लाजपतराय स्मारकमहाविद्यालय सोसायटी ने वर्ष 1967 में लाजपतरायकॉलेज साहिबाबाद में शुरू किया था। उस समयगाजियाबाद इ प्रूवमेंट ट्रस्ट (वर्तमान में जीडीए) सेकॉलेज के लिए रियायती दर पर 54049.24 वर्गगजजमीन मात्र 96हजार रुपये में खरीदी गयी । जिसकीलीज डीड 1971में निष्पादित की गई। लाजपतरायकॉलेज 1967में श्यामपार्क मेन सोसायटी द्वारा दान मेंदी गई पार्क की जमीन में पशुरू किया गया था।कॉलेज की मान्यता के लिए अतिरिक्त जमीन कीआवश्यकता थी, इसलिए बाद में इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट से यहजमीन व 90 साल की लीज पर खरीदी गई। इसी जमीन पर कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण होना था। लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी के बायलॉज का गठन किया गया।
पत्र में त्यागी ने प्रमुख रूप से सदस्यों का ब्यौरा भी दिया गया
जिसमें डॉ. के नाथ ट्रस्ट के मेंबर नामित सदस्य थे। ट्रस्ट डॉ. के नाथ, कमलनाथ व उनके पिता महेंद्रनाथ द्वारा संचालित था। प्रमोटर्स सदस्यों में डीएन शास्त्री जो कमलनाथ के ताऊ भी शामिल थे। शिकायत में श्री त्यागी ने बताया कि लाजपतराय कॉलेज साहिबाबाद की मान्यता यूजीसी एवं उप्र शासन से कॉलेज के लिए ग्रांट लेने को करानी होती है। मेरठ विश्वविद्यालय की शर्त के अनुसार, महाविद्यालय के लिए खरीदी गयी जमीन यूनिवर्सिटी में बंधक रखकर दी गई। ताकि शासन से ग्रांट और आर्थिक मदद मिल सके। इसी के आधार पर आज तक शासन की ओर से महाविद्यालय को मदद मिल रही है।
इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट से मिली इसी जमीन पर कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण होना था। इसी के चलते सोसायटी द्वारा जमीन पर यूजीसी से मिली ग्रांट के जरिए छात्रावास का निर्माण किया गया। इस छात्रावास का शिलान्यास तत्कालीन विधानस अध्यक्ष बाबू बनारसी दास ने नौ दिसंबर 1978को किया था। दरअसल यह जमीन राजनगर में कलक्ट्रेट के पास लाजपतराय महाविद्यालय के लिए आवंटित थी। समय बदलने के साथ लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी के बायलॉज के साथ परिवर्तन किये गये।
इसकी शिकायत मेरठ विश्वविद्यालय को मिली। मेरठ विश्वविद्यालय ने इस पर जांच कमेटी बनाकर रिपोर्ट तैयार की । बाद में विश्वविद्यालय की ओर से सोसायटी के तत्कालीन सचिव एवं प्रधानाचार्य को नोटिस भेजकर बिंदुवार जवाब मांगा गया। षडयंत्र के तहत जांच रिपोर्ट के बिंदुओं के आधार पर कॉलेज सोसायटी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। इसी के चलते धीरे-धीरे लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी कमलनाथ, उनके स्वर्गीय पिता महेंद्र नाथ, उनके द्वारा नामित सदस्यों व पदाधिकारियों का कब्जा हो गया। यही नहीं बाद में लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी का नाम परिवर्तन करके
लाजपतराय स्मारक एजुकेशनल सोसायटी द्वारा आईएमटी राजनगर गाजियाबाद कर दिया गया। वर्ष 1980-81 में लाजपतराय कॉलेज साहिबाबाद के नाम आवंटित जमीन पर आईएमटी स्थपित हो गया। जबकि यह जमीन लाजपतराय कॉलेज के लिए खरीदी गई थी और इसी जमीन को यूनिवर्सिटी में बंधक रखकर लाजपतराय महाविद्यालय की मान्यता ली गई थी।
त्यागी का आरोप है कि समय और अनिमितताओं के चलते इसी जमीन पर बाद में जीडीए से नक्शा पास कराकर आईएमटी की बिल्डिंग खड़ी कर दी। इसी जमीन जो छात्रावास बनाने का जो काम पूरा किया गया था इस बिल्डिंग को तोड़कर आईएमटी की बिल्डिंग बनाई गई। यही नहीं जिस जमीन पर आईएमटी संचालित है वह लाजपतराय कॉलेज साहिबाबाद की सम्पत्ति है तथा इसका पैसा लाजपतराय कॉलेज साहिबाबाद ने अपने डेवलपमेंट फंड से लेकर इस जमीन को खरीदा था। आपको बतादें कि इस मामले में जीडीए उपाध्यक्ष द्वारा गठित समिति जाँच कर रही है ।
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