लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पेश की। 13 अगस्त 1980 में हुए इस दंगे में 83 लोगों की जान गई थी। CM योगी ने दंगे की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट से पता चलेगा कि दंगे में क्या हुआ था? इसका जिम्मेदार कौन है। रिपोर्ट में यूपी पुलिस को क्लीनचिट मिलने की संभावना है। अब 43 साल के बाद इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा। उस समय यूपी में कांग्रेस की सरकार थी। वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे।
सपा बोली- महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से भटकाया जा रहा
विधानसभा में 43 साल पुराने मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पेश किए जाने पर सपा हमलावर हो गई है। सपा ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा, “महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान भटकाने के लिए मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पेश की गई। सरकार महंगाई, बेरोजगारी और किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रही है। UP में बेरोजगारी दर घटी नहीं, बढ़ गई है। सरकार झूठ बोल रही है।
केशव बोले- रिपोर्ट से पता चलेगा कि दंगा कौन करता है
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 1980 के मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पर कहा, “यह रिपोर्ट छिपाई गई और इसे पेश किए जाने की जरूरत है। इससे नागरिकों को मुरादाबाद दंगों की सच्चाई जानने में मदद मिलेगी। हर किसी को इस रिपोर्ट का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि इससे पता चल जाएगा कि दंगा कौन करता है, कौन इसका समर्थन करता है और कौन इसके खिलाफ लड़ता है।”
43 साल बाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के पीछे वजह
सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट में इस दंगे में मुख्य भूमिका मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष की मानी गई है। वह मुरादाबाद के ही निवासी हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट में यह भी है कि दूसरे समुदाय के लोगों को फंसाने और सांप्रदायिक हिंसा के लिए इस दंगे की साजिश रची गई थी।
अखिलेश यादव ने पूछा-बेरोजगारों की संख्या बताए
नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री जी ने बेरोजगारी को लेकर बहुत-सी बातें रखी हैं, लेकिन मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि 2017 से लेकर 2022 तक जो 15 साल का एज ग्रुप है, उसमें कितनी संख्या बढ़ गई है? क्या उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए और उन्हें नौकरी दिलाने के लिए आपकी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बेरोजगार लोगों की संख्या बताएगी?”
योगी बोले- 2016 में अनइंप्लॉयमेंट रेट 19%, आज 4% है
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सरकार क्या कर रही है, यह अनइंप्लॉयमेंट रेट आपको बताते हैं… 2016 में अनइंप्लॉयमेंट रेट 19% से अधिक था। आज के दिन में यह 3 से 4% तक ही है। आज लोगों को इमानदारी से नौकरी मिल रही है। नौकरी की खरीदी प्रक्रिया न्यायालय द्वारा बाधित नहीं की जाती है, क्योंकि न्यायालय को भी मालूम है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता है और पूरी सुचिता के साथ सरकार आगे बढ़ा रही है। इसी के कारण ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 36 लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट आए हैं।”
योगी बोले-अब नेता विरोधी दल को जनसंख्या की चिंता होने लगी
नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने कहा, “मुझे बहुत अच्छा लगा कि अब नेता विरोधी दल को जनसंख्या की चिंता होने लगी है। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए ही हम लोग सामान कानून की बात करते हैं। मैं पहले यह सोचता था कि समाजवादियों में कुछ तो प्रोग्रेस हुई है। अच्छा है लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए। बेसिक शिक्षा मंत्री जी से भी पूछा जा रहा था कि एक प्रदेश एक ड्रेस और एक शिक्षा, उसमें एक देश एक कानून भी जोड़ देते तो ज्यादा अच्छा होता।”
65 साल बाद बनी नई नियमावली
अभी तक सदन की कार्यवाही 1958 की नियमावली के तहत चलती है। विधानसभा में 65 साल बाद नई नियमावली बनी है। नई नियमावली के तहत अब विधानसभा सदस्य झंडे, बैनर और मोबाइल सदन में नहीं ले जा सकेंगे। अब सदस्य सदन में दस्तावेज नहीं फाड़ सकेंगे। अध्यक्ष के आसन के पास भी जाने पर रोक लगा दी गई है।
नई नियमावली के तहत विधानसभा सदस्य घर बैठे वर्चुअल कार्यवाही में हिस्सा ले सकेंगे। विधानसभा सत्र अब सात दिन के नोटिस पर बुलाया जा सकेगा। आज विधायक इस नई नियमावली पर संशोधन प्रस्ताव देंगे। कल नियमावली पर चर्चा के बाद मंजूरी दिलाई जाएगी। विधानसभा का शीतकालीन सत्र नई नियमावली के तहत ही चलेगा।
सदन के पहले दिन मणिपुर हिंसा पर विपक्ष का निंदा प्रस्ताव खारिज
विधानमंडल के मानसून सत्र में पहले दिन यानी सोमवार को जमकर हंगामा हुआ था। पहले तो विपक्ष की तरफ से किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन किया गया। जहां विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना विपक्षी दलों के सदस्यों को शांत कराने का प्रयास कराते दिखे। अंत में आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया, लेकिन जब दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो एक बार सपा के विधायकों ने मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विधानसभा में निंदा प्रस्ताव लाने की मांग करने लगे। विपक्ष के निंदा प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया।
सदन के पहले दिन मणिपुर हिंसा पर विपक्ष का निंदा प्रस्ताव खारिज
विधानमंडल के मानसून सत्र में पहले दिन यानी सोमवार को जमकर हंगामा हुआ था। पहले तो विपक्ष की तरफ से किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन किया गया। जहां विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना विपक्षी दलों के सदस्यों को शांत कराने का प्रयास कराते दिखे। अंत में आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया, लेकिन जब दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो एक बार सपा के विधायकों ने मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विधानसभा में निंदा प्रस्ताव लाने की मांग करने लगे। विपक्ष के निंदा प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन जोरदार हंगामा हुआ। महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सपा और रालोद के विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। विपक्ष मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव लाना चाहता था। स्पीकर सतीश महाना ने पहले 30 मिनट के लिए सत्र की कार्रवाई को रोका। मगर फिर भी हंगामा नहीं रुका। इसके बाद मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए कार्रवाई स्थगित कर दी।