मुरादाबाद : गरीब मजदूर का जर्जर मकान ढहने से हड़कंप, ग्राम प्रधान और विभागीय अधिकारियों पर रिश्वत मांगने का आरोप

मुरादाबाद : के कुंदरकी ब्लॉक क्षेत्र में बरसात के चलते गरीब मजदूर गालिब का कच्चा मकान ढह गया। गनीमत रही कि बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन इस हादसे ने ग्राम प्रधान और डूडा विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि यदि मजदूर ने सुविधा शुल्क दिया होता तो शायद उसे सरकारी आवास कब का मिल चुका होता।

कुंदरकी ब्लॉक के चक फाजलपुर गांव का रहने वाला मजदूर गालिब अपनी चार बेटियों, पत्नी और एक नाबालिग बेटे के साथ एक जर्जर मकान में रह रहा था। सोमवार की सुबह हुई बारिश में अचानक कच्ची छत भरभराकर गिर गई। घर का सारा सामान मलबे में दब गया और मकान में पानी भर गया। परिवार बाल-बाल बचा, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

गालिब ने फूट-फूटकर आरोप लगाया कि उसने ग्राम प्रधान एवं प्रधान प्रतिनिधि से कई बार आवास की गुहार लगाई, लेकिन हर बार बहानेबाजी की गई। डूडा विभाग के अफसरों से भी उसने फरियाद की, लेकिन वहाँ भी केवल आश्वासन ही मिला। गांव वालों का कहना है कि यदि गालिब ने ‘सुविधा शुल्क’, यानी रिश्वत, दी होती तो अब तक उसका नाम आवास योजना में दर्ज हो चुका होता। लेकिन जो गरीब ईमानदारी से केवल अपने हक की उम्मीद करता है, उसे यहाँ कोई सुनवाई नहीं मिलती।

आज गालिब और उसका परिवार खुले आसमान के नीचे है। आँसुओं से भरी आँखों वाले मजदूर पूछ रहे हैंक्या गरीब को सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए भी रिश्वत देनी होगी? आखिर क्यों व्यवस्था इतनी भ्रष्ट हो चुकी है?

केंद्र और राज्य सरकारें लगातार गरीबों को घर देने के लिए योजनाएँ चला रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर ग्राम प्रधान और विभागीय अधिकारी इन योजनाओं को अपने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं।

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