
मुरादाबाद : छजलैट थाना क्षेत्र के गांव शुक्ला में 27 जून 2025 की रात घटी एक दिल दहलाने वाली घटना ने न केवल पीड़ित कर्मवीर सिंह और उनके परिवार को हिला कर रख दिया, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पीड़ित परिवार को न तो न्याय मिला और न ही उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई हुई। परिवार का आरोप है कि थाना छजलैट के एसएचओ संजय पांचाल जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी शिकायत पर एफआईआर तक दर्ज नहीं की जा रही। यह मामला अब पुलिस की जवाबदेही और कानून के शासन पर सवालिया निशान लगा रहा है।
27 जून 2025 की रात करीब 8 बजे कर्मवीर सिंह के घर में उनके भतीजे सुमित और राहुल, साथ में तीन अन्य अज्ञात लोग तमंचे और हॉकी लेकर घुस आए। हमलावरों ने आते ही गाली-गलौज शुरू की और कर्मवीर सिंह के साथ मारपीट की। जब कर्मवीर ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो हमलावरों ने तमंचे के बट और हॉकी से उन पर हमला कर दिया। इस हमले में कर्मवीर को गंभीर चोटें आईं। गांव के कुछ लोगों ने बीच-बचाव कर उनकी जान बचाई, लेकिन हमलावर जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए।
इस घटना ने कर्मवीर और उनके परिवार को डर और असुरक्षा के साये में ला दिया। परिवार का कहना है कि हमलावरों की धमकियां अब भी जारी हैं, और पुलिस की निष्क्रियता ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
पुलिस की लापरवाही: दो महीने, कोई सुनवाई नहीं
घटना के तुरंत बाद कर्मवीर सिंह ने 112 नंबर डायल कर पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें थाने जाने की सलाह दी। थाने पहुंचने पर पुलिस ने कर्मवीर को मेडिकल जांच के लिए कांठ भेजा, जहां से मेडिकल रिपोर्ट लेकर वे वापस थाने पहुंचे। लेकिन इसके बाद उनकी शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कर्मवीर का कहना है कि उन्होंने बार-बार थाना छजलैट के एसएचओ संजय पांचाल से गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया।
थक-हारकर कर्मवीर ने उच्च अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तीन बार एसएसपी और एक बार डीआईजी को लिखित शिकायत दी, जिनकी प्रतियां भी उनके पास मौजूद हैं। लेकिन इन शिकायतों का भी कोई नतीजा नहीं निकला। पीड़ित परिवार अब पूरी तरह टूट चुका है और उन्हें लगता है कि पुलिस या तो दबाव में है या जानबूझकर अपराधियों को संरक्षण दे रही है।
एसएचओ पर गंभीर आरोप
कर्मवीर सिंह ने थाना छजलैट के एसएचओ संजय पांचाल पर सीधा आरोप लगाया है कि वे जानबूझकर उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर रहे हैं। यह एक गंभीर मामला है, जो न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कहीं न कहीं सिस्टम में खामियां हैं। एक आम नागरिक के साथ हुई हिंसा की शिकायत को दो महीने तक नजरअंदाज करना पुलिस की निष्क्रियता और संवेदनहीनता को दर्शाता है।
सबूत मौजूद, फिर भी कार्रवाई नहीं
घटना की गंभीरता को साबित करने के लिए कर्मवीर सिंह ने कई वीडियो और तस्वीरें रिकॉर्ड की हैं। इनमें उनके घर के टूटे हुए दरवाजे, खिड़कियों के शीशे और मारपीट के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। ये सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमला कितना संगठित और क्रूर था। लेकिन इतने ठोस सबूतों के बावजूद पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई न होना हैरान करने वाला है। यह सवाल उठता है कि आखिर पुलिस इतने गंभीर मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए है?
पीड़ित की पुकार: हमें न्याय चाहिए
कर्मवीर सिंह और उनका परिवार अब डर के साये में जी रहा है। हमलावरों की धमकियां उनके लिए हर पल खतरा बनी हुई हैं। कर्मवीर ने उच्च अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है, जब तक हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक हमारा परिवार सुरक्षित नहीं है। हमारी जान को खतरा है।
यह मामला केवल कर्मवीर सिंह और उनके परिवार तक सीमित नहीं है। यह पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही पर एक बड़ा सवाल है। जब एक आम नागरिक को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, तो यह साफ है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गहरी खामी है। क्या पुलिस अपने ही अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी? क्या कर्मवीर सिंह और उनके परिवार को जल्द न्याय मिलेगा? इन सवालों का जवाब समय ही देगा, लेकिन यह घटना समाज में कानून और व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर करने वाली है।