
मुरादाबाद। जिले में ड्यूटी निभाते-निभाते एक पुलिस जवान ने अपनी जान गंवा दी। गश्त के दौरान पैर फिसला और बाढ़ का तेज़ बहाव सिपाही मोनू को बहाकर ले गया। 24 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसका शव बरामद हुआ।
गाजियाबाद निवासी मोनू की मौत की खबर से गांव में मातम और पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई हादसा गश्त के दौरान, पैर फिसलते ही पानी में बहा जवान थाना डिलारी क्षेत्र के चटकाली गांव में सोमवार देर रात करीब साढ़े तीन बजे यह दर्दनाक हादसा हुआ। सिपाही मोनू गश्त पर था, तभी मछुआरों से सूचना मिली कि नदी में अवैध जाल डाला गया है। मोनू लेपर्ड वाहन से मौके पर पहुंचा और जाल हटाने लगा।
इसी दौरान अचानक उसका पैर फिसल गया और वह बाढ़ के तेज़ बहाव में बह गया। कुछ ही सेकंड में वह पानी में ओझल हो गया 24 घंटे चला रेस्क्यू, तेज़ धारा बनी सबसे बड़ी चुनौती घटना की खबर मिलते ही थाना डिलारी पुलिस, PAC बाढ़ राहत दल और स्थानीय गोताखोरों की टीम मौके पर जुट गई। लेकिन तेज़ बहाव और ऊंचा पानी तलाशी में सबसे बड़ी बाधा बने रहे।
लगातार 24 घंटे की मशक्कत के बाद मंगलवार सुबह जवान का शव बरामद किया जा सका अनुशासित और ड्यूटी के प्रति समर्पित था मोनू सिपाही मोनू गाजियाबाद जिले का रहने वाला था और 2018 बैच में उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुआ था। मेहनती, अनुशासित और ड्यूटी के लिए हमेशा तैयार रहने वाला मोनू कुछ महीने पहले ही डिलारी थाने में तैनात हुआ था।
उसकी मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया और पूरे गांव में सन्नाटा छा गया तैयारी पर उठे सवाल मोनू ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए जान गंवा दी। उसकी बहादुरी पूरे पुलिस महकमे के लिए मिसाल है, लेकिन इस हादसे ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या बाढ़ जैसे खतरनाक हालात में हमारे पास जवानों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन और तैयारी है?
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