
जयपुर : राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र एक सितंबर से शुरू होने की संभावना है। राज्य सरकार ने सत्र को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। यह सत्र कई मायनों में अहम माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस के पास सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दे हैं, वहीं बीजेपी लंबित विधेयकों की लंबी सूची के साथ मैदान में है।
सत्र के दौरान खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव भी रखा जा सकता है। इसके अलावा, सरकार की प्राथमिकता उन विधेयकों को पारित करवाने पर होगी, जो बजट सत्र के दौरान पेश किए गए थे लेकिन विरोध के चलते प्रवर समिति को भेज दिए गए थे। प्रवर समिति की रिपोर्ट पेश होने के बाद इन विधेयकों पर निर्णय लिया जाएगा।
इनमें राजस्थान कोचिंग सेंटर रेगुलेशन बिल, राजस्थान भू-राजस्व संशोधन विधेयक और राजस्थान भूजल प्राधिकरण विधेयक शामिल हैं। संभावना है कि मानसून सत्र में इन पर मुहर लगाई जाएगी।
सत्र में धर्मांतरण विरोधी विधेयक भी चर्चा का केंद्र बन सकता है। यह बिल, जो 3 फरवरी को बजट सत्र में पेश किया गया था, उस समय चर्चा के अभाव में लंबित रह गया था। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल के संकेतों के बाद अब इसे मानसून सत्र में पारित कराने की संभावना है। इस विधेयक में जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कठोर सजा के प्रावधान हैं, ताकि राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
विपक्ष भी इन विधेयकों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। ऐसे में इस मानसून सत्र में सदन में जोरदार बहस और टकराव देखने को मिल सकता है।