
हिमाचल : हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून तय समय से पहले पहुंचा और जून के आख़िरी 10 दिनों में भारी तबाही मचाई। आमतौर पर जुलाई-अगस्त में सक्रिय रहने वाला मानसून इस वर्ष 20 जून को प्रदेश में दाखिल हुआ और बीते 10 दिनों में ही जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर गया। जगह-जगह बादल फटने, भूस्खलन, जलभराव और तेज बारिश की घटनाओं ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 20 से 30 जून तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 44 लोगों की मौत हुई है, जबकि 82 लोग घायल हुए हैं। इस अवधि में 5 लोग लापता भी बताए गए हैं। जान गंवाने वालों में 21 मौतें सड़क हादसों में हुईं, जबकि 8 लोग अचानक आई बाढ़ की चपेट में आकर मारे गए। तेज बहाव में बहने से 6, पहाड़ी से गिरने से 4, बिजली गिरने से 2, सांप के काटने से 2 और अन्य कारणों से एक व्यक्ति की मौत दर्ज की गई है।
इस दौरान कुल्लू, कांगड़ा और शिमला के रामपुर इलाकों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। कांगड़ा जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां बाढ़ और बहाव में 8 लोगों की जान चली गई। वहीं, भारी बारिश और भूस्खलन से न केवल मानव जीवन बल्कि पशुधन और संपत्तियों को भी भारी क्षति पहुंची है।
आंकड़ों के अनुसार 10 दिनों की इस मानसूनी तबाही में 83 मवेशी मारे गए, जबकि 35 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से 9 मकान पूरी तरह और 26 आंशिक रूप से ढह गए। इसके अतिरिक्त 8 दुकानें, 26 गौशालाएं और एक पारंपरिक घराट भी बारिश की भेंट चढ़ गए हैं।
राज्य में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। जलशक्ति विभाग को 38.56 करोड़ रुपये और लोक निर्माण विभाग को 34.72 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। इस प्रकार, अब तक मानसून से कुल 75.69 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंच चुका है।
इस बीच मौसम विभाग ने फिर चेतावनी जारी की है। शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने आगामी 6 जुलाई तक राज्य के अधिकतर हिस्सों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग ने स्थानीय प्रशासन को अलर्ट मोड पर रहने और लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है।