मोहम्मद मोकिम कांग्रेस से बाहर, सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी पर उठाए थे सवाल

ओडिशा। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक मोहम्मद मोकिम को संगठन विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इस कदम के साथ ही उनकी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है। इस निर्णय से राज्य कांग्रेस में अंदरूनी तनाव और खींचतान स्पष्ट रूप से सामने आ गई है।

क्या था मामला?

मोकिम ने कुछ समय पहले कांग्रेस नेतृत्व को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने पार्टी के कामकाज और संगठनात्मक गतिविधियों पर सवाल उठाए थे। विशेष रूप से, उन्होंने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी की दिशा और संगठनात्मक कार्यशैली पर अपनी चिंता व्यक्त की। साथ ही, उन्होंने ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए थे।

उनके इस पत्र ने कांग्रेस संगठन के अंदर हलचल मचा दी और पार्टी के अनुशासन और एकता पर सवाल खड़े कर दिए। पार्टी नेताओं का मानना है कि यह हरकत पार्टी के संगठनात्मक अनुशासन के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष भक्त चरण दास की सिफारिश पर लिया गया, जिसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने मंजूरी दी।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम संगठन की एकता और अनुशासन को प्राथमिकता देते हैं। मोहम्मद मोकिम का रवैया संगठन के मानकों के खिलाफ था, और इसलिए उनके खिलाफ कठोर कदम उठाना पड़ा।”

मोकिम का आरोप है कि उन्होंने अपने मुद्दों को संगठन के सामने रखने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें उपेक्षा मिली। उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी के अंदर बदलाव लाने की कोशिश की थी, लेकिन उनके प्रयास को नजरअंदाज किया गया।

वहीं, पार्टी का मानना है कि संगठन के खिलाफ बयानबाजी और अनुशासनहीनता स्वीकार्य नहीं है। पार्टी का कहना है कि संगठन की एकता बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी था।

यह फैसला ओडिशा कांग्रेस में आंतरिक मतभेदों को उजागर करता है। इससे पहले भी, इस तरह के विवाद पार्टी के भीतर उभरे हैं, लेकिन इस बार निष्कासन की कार्रवाई ने संगठनात्मक असंतोष को और गहरा कर दिया है।

पार्टी सूत्रों का मानना है कि इस कदम से संगठन में अनुशासन और एकता का संदेश जाएगा, लेकिन दूसरी ओर, यह आंतरिक विवाद और नाराजगी को भी जन्म दे सकता है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि मोहम्मद मोकिम इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वे संगठन के खिलाफ कोई नई रणनीति अपनाएंगे या फिर यह मामला ठंडा पड़ जाएगा?

साथ ही, यह कदम कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी एक संदेश है जो संगठन के अंदर बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी का संदेश स्पष्ट है कि संगठन में अनुशासन और एकता सर्वोपरि है।

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