मोदी मैजिक मालदीव में भी बरकरार : स्वागत देख चौंके जिनपिंग और शहबाज, देखें VIDEO

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अपनी ब्रिटेन यात्रा के बाद जब मालदीव पहुंचे, तो राजधानी माले में उनके स्वागत का नज़ारा अभूतपूर्व था. खुद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू प्रधानमंत्री मोदी को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचे वो भी अकेले नहीं, बल्कि अपनी पूरी कैबिनेट के साथ. मुइज्जू के साथ उनके विदेश, रक्षा, वित्त और आंतरिक सुरक्षा मंत्री भी मौजूद थे, जिन्होंने एक सुर में मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया.

इस उच्च स्तरीय स्वागत समारोह ने भारत-मालदीव रिश्तों में नई ऊर्जा भर दी है और साथ ही चीन व पाकिस्तान की रणनीतिक नींद भी तोड़ दी है. ये वही मोहम्मद मुइज्जू हैं, जो चुनावी दौर में भारत विरोधी रुख के लिए चर्चित रहे. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुलेआम घोषणा की थी कि वे भारत की सैन्य उपस्थिति को मालदीव से समाप्त करेंगे. उनके शुरुआती कदमों से भी यही संकेत मिला कि वे चीन के प्रभाव में काम कर रहे हैं.

मालदीव की बदली प्राथमिकताएं, भारत बना भरोसेमंद साझेदार

लेकिन वक्त बदला, और मालदीव को जल्द ही यह एहसास हो गया कि चीन की “मदद” दरअसल कर्ज के जाल में जकड़ने की रणनीति थी. दूसरी ओर, जब देश को आपदा और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तो भारत ने सबसे पहले आगे आकर हर तरह की मदद दी. चाहे वो मानवीय सहायता हो या आधारभूत ढांचे में निवेश.

भारत की कूटनीति ने पलटा खेल

भारत ने न तो सार्वजनिक बयानबाज़ी की, न ही तीखी प्रतिक्रिया दी. बल्कि सजग और सटीक कूटनीति अपनाते हुए मालदीव के साथ संवाद बनाए रखा. जब मालदीव ने मदद मांगी, तो भारत ने बिना शर्त सहायता पहुंचाई. अब वही मुइज्जू, जो पहले भारत से दूरी बना रहे थे, आज प्रधानमंत्री मोदी को ससम्मान आमंत्रित कर रहे हैं. इस बदले स्वरूप से चीन और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश गया है कि भारत की भूमिका हिंद महासागर क्षेत्र में केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि भरोसेमंद और स्थायी भागीदारी की है.

भारत-मालदीव रिश्तों में नया अध्याय

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकेत है. दोनों देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार, पर्यटन और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की पूरी संभावना है. भविष्य की दृष्टि से देखें तो यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों में एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है—एक ऐसा मोड़, जो क्षेत्रीय स्थिरता और समावेशी विकास की नींव रखता है.

 

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