MLA ने खाली नहीं किया सरकारी बंगला, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा ब्याज समेत किराया, कहा- ‘आप हमेशा के लिए नहीं रह सकते’

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह के सरकारी आवास को लेकर एक कड़ा संदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि सरकारी मकान को अनावश्यक रूप से लंबे समय तक अपने पास रखना गलत है। इस संबंध में पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अविनाश की याचिका को खारिज कर दिया गया है, और उन्हें कानूनी रास्ता अपनाने का सुझाव भी दिया गया है।

मंगलवार, 22 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल थे, ने अविनाश कुमार सिंह के सरकारी आवास को बिना उचित कारण के कब्जाए रखने पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि सरकारी मकान को बेवजह लंबी अवधि तक अपने पास रखना अनुचित है।

यह मामला पटना हाईकोर्ट के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें अविनाश कुमार सिंह को सरकारी आवास में अधिक समय तक रहने के लिए 20 लाख रुपये से अधिक का किराया चुकाने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को भी खारिज कर दिया है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “कोई भी व्यक्ति सरकारी मकान को हमेशा के लिए अपने पास नहीं रख सकता।” अदालत ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यदि चाहें तो कानून के दायरे में रहकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।

यह फैसला सरकार और निजी आवास के बीच अधिकार और जिम्मेदारी के मामले में एक महत्वपूर्ण मिसाल है, जो स्पष्ट करता है कि सरकारी संपत्ति की सुरक्षा और सही उपयोग जरूरी है।

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