गोरखपुर-बस्ती मंडल में क्लीन स्वीप की हैट्रिक बनाने की तैयारी में भाजपा
गत दो लोकसभा चुनाव से गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ सीटों पर क्लीन स्वीप कर रही भाजपा
राजेश्वर शुक्ला
गोरखपुर। लोकसभा चुनाव की दुदुम्भी बजने के साथ से ही विपक्षी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं तो वहीं सत्तासीन विकास का दांव चल रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर-बस्ती मंडल में भी विपक्षी पार्टियों में सीटवार जातियों का जोड़ लगाकर पूर्व में हुए नुकसान को नफा में तब्दील करने की कवायद जोरों पर है। इन कवायदों के बीच सत्तासीन भाजपा अपने अबतक के दो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम यानी क्लीन स्वीप की हैट्रिक बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
विपक्ष की जातीय गोलबंदी को चित करने के लिए भाजपा गत लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार फिर “विकास दांव” आजमा रही है। उसे उम्मीद है कि इस बार भी 2014 और 2019 के संसदीय चुनाव की ही तरह परिणाम आएगा। पार्टी मोदी के साथ योगी ब्रांड को भी समानांतर लेकर चुनाव अभियान को आगे बढ़ा रही है। जनता के बीच गिनाने के लिए भाजपा के पास (डबल इंजन ) मोदी-योगी सरकार के कार्यों की लंबी फेहरिस्त भी है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व सफलता मिली थी। राम मंदिर लहर से अधिक। 1991 में मंदिर आंदोलन की लहर से प्रभावित लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल की 9 सीटों में से 7 पर जीत हासिल की थी। जबकि मोदी के नाम पर 2014 के चुनाव में उसने सभी नौ सीटों पर विजय हासिल की। यही परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आए। जीत के ये आंकड़े चुनाव में टूटते जातीय समीकरणों की भी कहानी कहते हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा के पास विकास का बड़ा हथियार है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में तुलनात्मक रूप से व्यापक विकास को मुद्दा बना रही भाजपा गोरखपुर में खाद कारखाना, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, पिपराइच व मुंडेरवा में चीनी मिल, बस्ती, सिद्धार्थनगर, देवरिया में क्रियाशील और कुशीनगर में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, चिड़ियाघर, विश्व स्तरीय वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, सैनिक स्कूल, अटल आवासीय विद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय गीडा में तीव्र औद्योगिकीकरण, कुशीनगर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय, जैसे बड़े प्रोजेक्ट को जनमानस में रोज ही गिना रही है। इसके अलावा हर जिले में फोरलेन सड़क, ओवरब्रिज, बिजली, पानी जैसे बुनियादी मुद्दे, आवास, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, मुफ्त डबल राशन, कई योजनाओं की डीबीटी का डाटा लेकर बीजेपी कार्यकर्ता बूथ स्तर पर विपक्ष की समीकरणीय रणनीति को समय रहते बेअसर करने के अभियान में लगे हुए हैं।
संसदीय चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल में भाजपा का प्रदर्शन
वर्ष1991 (कुल 7 सीट)
बस्ती – श्यामलाल कमल
डुमरियागंज – रामपाल सिंह
गोरखपुर – महंत अवेद्यनाथ
बांसगांव – राजनारायण
खलीलाबाद – अष्टभुजा शुक्ला
महराजगंज – पंकज चौधरी
पडरौना – रामनगीना मिश्रा
1996 (कुल 5 सीट)
बस्ती – श्रीराम चौहान
देवरिया – श्रीप्रकाश मणि
गोरखपुर – महंत अवेद्यनाथ
महराजगंज – पंकज चौधरी
पडरौना – रामनगीना मिश्रा
वर्ष 1998 (कुल 7 सीट)
बस्ती – श्रीराम चौहान
डुमरियागंज – रामपाल सिंह
खलीलाबाद – इंद्रजीत मिश्रा
गोरखपुर – योगी आदित्यनाथ
बांसगांव – राजनारायण
महराजगंज – पंकज चौधरी
पडरौना – रामनगीना मिश्रा
वर्ष 1999 (कुल 6 सीट)
बस्ती – श्रीराम चौहान
डुमरियागंज – रामपाल सिंह
गोरखपुर – योगी आदित्यनाथ
बांसगांव – राजनारायण
देवरिया – श्रीप्रकाश मणि
पडरौना – रामनगीना मिश्रा
*वर्ष 2004 (कुल 2 सीट)
गोरखपुर – योगी आदित्यनाथ
महराजगंज – पंकज चौधरी
वर्ष 2009 (कुल 2 सीट)
बांसगांव – कमलेश पासवान
गोरखपुर – योगी आदित्यनाथ
*वर्ष 2014 (सभी 9 सीट)
बस्ती – हरीश द्विवेदी
डुमरियागंज – जगदम्बिका पाल
संतकबीरनगर – शरद त्रिपाठी
गोरखपुर – योगी आदित्यनाथ
बांसगांव – कमलेश पासवान
महराजगंज – पंकज चौधरी
कुशीनगर – राजेश पांडेय
देवरिया – कलराज मिश्र
सलेमपुर – रविंद्र कुशवाहा
*वर्ष 2019 (सभी 9 सीट)
बस्ती – हरीश द्विवेदी
डुमरियागंज – जगदम्बिका पाल
संतकबीरनगर – प्रवीण निषाद
गोरखपुर – रविकिशन शुक्ल
बांसगांव – कमलेश पासवान
महराजगंज – पंकज चौधरी
कुशीनगर – विजय दूबे
देवरिया – रमापति राम त्रिपाठी
सलेमपुर – रविंद्र कुशवाहा