अयोध्या की हाई-प्रोफाइल मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। चंद्रभान पासवान का मुकाबला समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार अजीत प्रसाद से होगा, जो सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। यह उपचुनाव खासतौर से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव सांसद निर्वाचित होने के कारण हो रहे हैं, और यह सीट खाली होने के बाद इस क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियों का जोरदार आक्रोश देखने को मिल रहा है।
अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई थी, और अब इसके लिए उपचुनाव का आयोजन किया जा रहा है। 5 फरवरी को इस उपचुनाव के लिए मतदान होगा, जबकि परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, और अब पूरा ध्यान इस उपचुनाव की ओर केंद्रित हो गया है।
नामांकन प्रक्रिया 10 जनवरी से शुरू हो चुकी है और 17 जनवरी तक जारी रहेगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में खरमास के कारण देरी हुई थी, जिससे चुनावी माहौल कुछ हद तक प्रभावित हुआ। लेकिन मकर संक्रांति के बाद, जो खरमास का समय समाप्त होता है, अब प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया को गति मिल गई है। अब, 15 जनवरी से उम्मीदवार अपने नामांकन पर्चे दाखिल कर सकते हैं, और चुनावी गतिविधियां तेज हो जाएंगी।
इस उपचुनाव के संदर्भ में एक दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस ने इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है, और वह समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रही है। इसके अलावा, बसपा ने भी इस बार प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है, जिससे मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सीधी टक्कर बीजेपी और सपा के बीच होने की संभावना है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, आजाद समाज पार्टी की ओर से भी एक प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना जताई जा रही है, और इस पर भी राजनीतिक चर्चा जारी है।
“पासी बनाम पासी” की टक्कर इस उपचुनाव में एक खास आकर्षण बन सकती है। चंद्रभान पासवान और अजीत प्रसाद दोनों पासी समुदाय से आते हैं, और यह उनके बीच सामाजित और राजनीतिक संघर्ष को और भी दिलचस्प बना सकता है। चंद्रभान पासवान ने रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में कार्य किया है, और उनका राजनीतिक अनुभव उन्हें मजबूत प्रत्याशी बनाता है। इसके अलावा, उनके परिवार के अन्य सदस्य भी राजनीति में सक्रिय हैं, और वर्तमान में उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। वहीं, अजीत प्रसाद, जो सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं, इस उपचुनाव में अपनी पार्टी की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के इस उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है, और सभी दल अपने-अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए सक्रिय रूप से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। बीजेपी ने इस उपचुनाव को अपने लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती माना है, और पार्टी पूरी कोशिश कर रही है कि वह इस सीट को कब्जा कर सके। सपा भी इस सीट पर जीत का दावा कर रही है, और अजीत प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने अपने समर्थकों को यह संकेत दिया है कि वह इस चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी।
अयोध्या जिले में इस उपचुनाव के परिणाम केवल मिल्कीपुर विधानसभा की राजनीति को ही प्रभावित नहीं करेंगे, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी इन चुनावों का महत्व होगा। यह उपचुनाव उत्तर प्रदेश की आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम संकेत भी हो सकता है, क्योंकि इसके परिणाम से यह स्पष्ट होगा कि राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की ताकत किस दिशा में जा रही है।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है, और यहां की राजनीतिक गतिशीलता अब प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने का काम करेगी। सभी प्रमुख दल अब इस उपचुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं, और इससे राजनीतिक समीकरण और रणनीतियां निश्चित रूप से आगामी चुनावों के लिए एक दिशा तय करेंगी।