
- सलखन फॉसिल पार्क को यूनेस्को विश्व धरोहर की स्थायी सूची में शामिल कराने में लगी सरकार
- सलखन फॉसिल पार्क में 1.4 अरब वर्ष पुरानी जीवन साक्ष्यों के वैज्ञानिक अभिलेखन की शुरुआत : जयवीर सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म विकास बोर्ड और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पाली साइंसेज (बीएसआईपी) लखनऊ के साझा प्रयास से सोनभद्र के सलखन फॉसिल पार्क में प्रागैतिहासिक स्ट्रोमैटोलाइट्स पृथ्वी पर जीवन के सबसे प्राचीन प्रमाण का सूक्ष्म वैज्ञानिक अभिलेखन शुरू हो गया है। दो दिवसीय इस फील्ड अध्ययन की शुरुआत सोमवार को बीएसआईपी की विशेषज्ञ टीम ने शुरू की। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।
मंत्री ने बताया कि 17 नवंबर 2025 को कैमूर की प्राचीन चट्टानों पर करोड़ों साल पुराने जीवाश्म के निशानों को दर्ज किया गया। डीएफओ कैमूर की टीम ने बीएसआईपी के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियो हेरिटेज एंड जियो टूरिज्म की संयोजक डॉ. शिल्पा पांडे के मार्गदर्शन में, चट्टानी सतहों पर संरक्षित स्ट्रोमैटोलाइट्स, साइनोबैक्टीरिया द्वारा निर्मित अद्भुत परतदार संरचनाओं का विस्तृत वैज्ञानिक दस्तावेज़ीकरण किया।
सोनभद्र जिला स्थित सलखन की धरती पर फैले करोड़ों वर्ष पुराने रहस्यों को नजदीक से समझने के लिए हुए फील्ड अध्ययन में डॉ. शिल्पा पांडे ने वन अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए एक अनोखी वैज्ञानिक दुनिया के द्वार खोले। उन्होंने आगंतुकों और स्थानीय ग्रामीणों को बताया कि यहां दिखाई देने वाली अवसादी संरचनाएं सिर्फ जीवाश्म नहीं, बल्कि रासायनिक-जीववैज्ञानिक स्मारक हैं, जो पृथ्वी के निर्जीव से सजीव ग्रह बनने की अद्भुत ऐतिहासिक यात्रा के प्रत्यक्ष साक्ष्य समेटे हुए हैं।
टीम के सदस्य डॉ. संजय सिंह ने अध्ययन भ्रमण पर आए विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को जब स्ट्रोमैटोलाइट्स की वैज्ञानिक दुनिया से रूबरू कराया, तो मानो करोड़ों वर्षों पुराने भू-इतिहास के पन्ने उनके सामने खुल गए। उन्होंने इन दुर्लभ संरचनाओं की बनावट, वैश्विक महत्व और संरक्षण की आवश्यकता को सरल व प्रभावी शैली में समझाया।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सोनभद्र जिले के प्राकृतिक परिदृश्यों के बीच स्थित सलखन फॉसिल पार्क भारत के सबसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक एवं प्राकृतिक धरोहर स्थलों में से एक है। लगभग 1.4 अरब वर्ष पुराने इस पार्क के संरक्षण और विकास के लिए उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने हाल के वर्षों में कई कदम उठाए हैं जिनमें व्याख्यात्मक साइनेज, फेंसिंग, नेचर ट्रेल, विश्राम स्थल और पेयजल सुविधाओं का विकास शामिल है, ताकि पर्यटन बढ़े, पर इस नाज़ुक जीवाश्म धरोहर की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।










