
चेन्नई में शनिवार को पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी CM की बैठक आयोजित की गई, जिसमें लोकसभा सीटों के परिसीमन पर चर्चा हुई। इस बैठक का आयोजन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने किया, जिसमें 14 प्रमुख नेता शामिल हुए। स्टालिन ने इस बैठक में एकजुट रहने और परिसीमन के मुद्दे पर एकजुट संघर्ष करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनाने की सलाह दी, जो लोगों में जागरूकता फैलाए और केंद्र तक राज्यों की चिंताओं को पहुंचाए।
सीएम स्टालिन ने उठाए अहम मुद्दे:
- परिसीमन पर विचार: स्टालिन ने कहा कि दक्षिणी राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या में कमी और उत्तर भारत में बढ़ोतरी से उनकी पहचान और प्रतिनिधित्व को खतरा हो सकता है।
- जॉइंट एक्शन कमेटी का गठन: उन्होंने JAC के गठन की बात करते हुए कहा कि यह समिती कानूनी पहलुओं पर विचार करेगी और निष्पक्ष परिसीमन के लिए संघर्ष करेगी।
- एक्सपर्ट पैनल की आवश्यकता: परिसीमन से जुड़ी कानूनी जटिलताओं को समझने के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाने की बात भी की, ताकि इस मुद्दे पर सबके सुझाव मिल सकें।
केरल के CM पिनाराई विजयन की चिंता: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि लोकसभा सीटों का परिसीमन तलवार की तरह लटका हुआ है। भाजपा सरकार इस पर बिना परामर्श के कार्रवाई कर रही है। विजयन ने कहा कि यह परिसीमन दक्षिणी राज्यों के लिए नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि इसमें उत्तर भारत की सीटें बढ़ सकती हैं, जिससे भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलेगा।
आंध्र प्रदेश के पूर्व CM ने किया प्रधानमंत्री से अपील: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की है कि परिसीमन प्रक्रिया के दौरान किसी भी राज्य के प्रतिनिधित्व में कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से सदन की कुल सीटों की संख्या बढ़ाने की बात की।
भा.ज.पा. का विरोध और काले झंडे: बैठक में भाग लेने वाले कर्नाटका के डिप्टी CM डीके शिवकुमार को तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई और पार्टी नेताओं ने काले झंडे दिखाए। अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि डीएमके के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु के हितों की बलि दी गई है।
समानुपातिक परिसीमन की संभावना: परिसीमन के मुद्दे पर यह चर्चा भी हुई कि आबादी के हिसाब से सीटों का वितरण किया जाए, जिससे हिंदी पट्टी में बढ़ने वाली सीटों के अनुपात में दक्षिणी राज्यों में भी सीटों की संख्या बढ़े। यह समानुपातिक परिसीमन का प्रस्ताव हो सकता है, जो सभी राज्यों के बीच एक समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा।
परिसीमन के बारे में समझें:
- परिसीमन लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमा को नए तरीके से तय करने की प्रक्रिया है, जिसमें जनसंख्या और अन्य गणनाओं का ध्यान रखा जाता है।
- यह प्रक्रिया 2026 से शुरू हो सकती है, और 2029 के चुनाव में लोकसभा सीटों की संख्या में लगभग 78 का इजाफा हो सकता है।
- समानुपातिक परिसीमन में एक राज्य में बढ़ी हुई सीटों के हिसाब से अन्य राज्यों में भी सीटों की संख्या बढ़ेगी, ताकि सभी राज्यों को जनसंख्या के आधार पर समान प्रतिनिधित्व मिल सके।
इस बैठक में कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए, जबकि भाजपा, NTK और तमिल माणिला कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया। इस मामले में अब सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल रही है।