
मेरठ । यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह गंभीर सामाजिक और नैतिक मुद्दों को भी उजागर करती है। सौरभ की हत्या के बाद मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल का शिमला और मनाली जाना, शादी करना और वहां पर हर्षोल्लास से समय बिताना, यह साबित करता है कि उन्होंने अपनी की गई अपराधिक गतिविधि के प्रति बिल्कुल भी पछतावा नहीं किया।
इस प्रकार की घटनाएँ समाज में मानसिकता को दर्शाती हैं, जहाँ कुछ लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए बेहद खतरनाक कदम उठाने से भी नहीं चूकते। इस मामले में मुस्कान और साहिल ने न केवल कानून का उल्लंघन किया, बल्कि अपने द्वारा किए गए अपराध से मानसिक औऱ भावनात्मक स्तर पर भी समाज और उसके परिवारों पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे मामलों में निर्णायक कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि न्याय मिले और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
मुस्कान और साहिल की कोशिशें वास्तव में उनके अपराध को छुपाने की नाकाम कोशिश को दर्शाती हैं। जब उन्होंने ड्रम को उठाने की कोशिश की और सफल नहीं हुए, तो चार मजदूरों को बुलाना और फिर से असफल होना, यह स्पष्ट करता है कि उन्हें अपने किए गए कृत्य की गंभीरता का अहसास नहीं था।
ऐसे ही छोटे-छोटे निर्णय कहीं न कहीं एक गंभीर अपराध की ओर बढ़ते हैं। ड्रम को बाहर फेंकने का प्रयास और इसके लिए मजदूरों की मदद लेना यह दर्शाता है कि वे अपने किए गए हत्या के सबूत को छुपाने के लिए कितनी कोशिशें कर रहे थे। इस बीच, उनके पैंतरे ने अंततः पुलिस के लिए उन्हें पकड़ने का अवसर प्रदान किया।
पुलिस ने जब ड्रम को बरामद किया, तो यह एक महत्वपूर्ण सबूत था, जिसने मामले की दिशा को बदल दिया। इस प्रकार की घटनाओं से पता चलता है कि अपराध को छुपाना आसान नहीं होता और अंततः सच्चाई सामने आ ही जाती है। अब न्याय की प्रक्रिया का सामना करते हुए, उन्हें अपनी एक घिनौनी प्रवृत्ति का परिणाम भुगतना पड़ेगा। यह घटना समाज को यह सिखाती है कि अपराध का परिणाम कितना गंभीर हो सकता है।
इस दुखद और भयावह घटना ने न केवल एक परिवार को बर्बाद किया है, बल्कि एक पांच साल की मासूम पीहू को भी उसके माता-पिता से हमेशा के लिए अलग कर दिया है। जन्मदिन का उत्सव मनाना और उसके बाद इस तरह की त्रासदी का सामना करना, एक बच्चे के लिए बेहद कठिन और दुखद अनुभव है।
बेटी रह गयी अकेली –
मुस्कान और उसके प्रेमी द्वारा की गई इस क्रूर हत्या ने न केवल सौरभ की जिंदगी समाप्त कर दी, बल्कि पीहू को भी अनाथ बना दिया। परिवारों के बीच में जो भी भावनात्मक संलग्नता थी, वह पल भर में समाप्त हो गई। सौरभ की मां रेनू और मुस्कान की मां कविता दोनों ही इस स्थिति में हैं, जहाँ वे अपने बच्चों को खो चुके हैं, और अब उन्हें पीहू के भविष्य के लिए निर्णय लेना है।
पुलिस द्वारा मामले का खुलासा करना और आरोपियों को गिरफ्तार करना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह उस दर्द को दूर नहीं करेगा जो इस बच्ची और उसके परिवार ने सहा है। एक बच्चे का जीवन हमेशा के लिए बदल गया है, और अब उसकी देखभाल और भविष्य की जिम्मेदारी उसके दादा-दादी या अन्य रिश्तेदारों पर होगी।
सामाजिक दृष्टिकोण से, यह घटना एक चेतावनी है कि कैसे व्यक्तिगत समस्याएं और रिश्तों में जटिलताएं एक भयानक अपराध में बदल सकती हैं। समाज को ऐसे मामलों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए, ताकि बच्चों को सुरक्षित और प्यार भरे वातावरण में लाया जा सके। पीहू का भविष्य अब उसके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्यार और समर्थन पर निर्भर करेगा।