रुद्रपुर में हाईवे से हटाई गई मजार: हाईकोर्ट ने प्रशासन से मांगी सर्वे रिपोर्ट

नैनीताल/रुद्रपुर। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुद्रपुर के इंदिरा चौक के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की प्रक्रिया के तहत हटाई गई मजार को लेकर दायर याचिका पर अहम सुनवाई की। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि मजार की मिट्टी को दोपहर 12 बजे से पहले एक सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए और 12:30 बजे तक इस संबंध में रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।

प्रशासन ने कोर्ट में दी रिपोर्ट, सुरक्षा के बीच हटाई गई मिट्टी

कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए जिला प्रशासन ने शुक्रवार दोपहर को रिपोर्ट पेश की और बताया कि मजार की मिट्टी को शांतिपूर्वक और पूरी सुरक्षा के बीच एक सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है। मिट्टी को हटाते वक्त स्थल की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई, जिससे किसी प्रकार के विवाद की स्थिति न बन सके।

कोर्ट का बड़ा आदेश: पूरे प्रदेश में मजारों का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करें

हाईकोर्ट ने मामले को व्यापक दृष्टिकोण से लेते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि प्रदेश के सभी जिलों में एक कमेटी गठित की जाए, जो नजूल भूमि या सरकारी ज़मीनों पर बनी मजारों का सर्वे कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस और प्रशासन की उपस्थिति में ही कार्रवाई होनी चाहिए, और स्थल पर कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद न रहे।

मजार अवैध निर्माण था: राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि हटाई गई मजार नजूल भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई थी और यह प्रस्तावित आठ लेन हाईवे परियोजना की सीमा में आ रही थी। एनएचएआई द्वारा कई बार मजार प्रबंधन को नोटिस देकर स्वयं हटाने के लिए कहा गया, परंतु कोई कदम नहीं उठाया गया। जिसके बाद बुलडोजर की मदद से इसे हटाया गया।

मजार प्रबंधन की दलील: वर्षों से काबिज हैं, इसलिए नहीं हटाई जा सकती

दूसरी ओर, मजार प्रबंधन की तरफ से यह तर्क दिया गया कि मजार वर्षों पुरानी है और वे लंबे समय से इस पर काबिज हैं। उनका दावा है कि इस स्थान पर धार्मिक गतिविधियां होती रही हैं और सरकार को इसे नहीं हटाना चाहिए था। हालांकि प्रबंधन ने भी यह स्वीकार किया कि भूमि सरकार की है।

हाईवे प्राधिकरण का तर्क: नोटिस दिए, पर शिफ्टिंग नहीं हुई

एनएचएआई की ओर से बताया गया कि इंदिरा चौक के समीप स्थित मजार प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग 8 लेन विस्तार परियोजना में बाधा बन रही थी। इस कारण इसे हटाना आवश्यक हो गया था। परियोजना में आने वाले अन्य प्रभावितों को भी समय रहते नोटिस जारी किए गए थे।

कोर्ट ने रखी कार्यवाही पर सख्ती

कोर्ट ने मजार की मिट्टी उठाने के लिए सुझाए गए दो व्यक्तियों को भी स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी और आदेश दिया कि पूरी कार्रवाई पूरी पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ हो। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर संवेदनशीलता बरतनी ज़रूरी है लेकिन कानून का पालन भी उतना ही आवश्यक है।

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