
- कासगंज को कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नये ज़िला के नाम को भी बदल दिया
लखनऊ। समाजवादी पार्टी द्वारा मान्यवर कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी करने की घोषणा पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा प्रमुख को आड़े हाथों लिया है।
उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर कांशीराम के प्रति विरोधी पार्टियों में भी ख़ासकर समाजवादी पार्टी व कांग्रेस आदि इन पार्टियों का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण रहा है, जो कि सर्वविदित है, इसीलिये आगामी 9 अक्टूबर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आदि करने का सपा प्रमुख की घोषणा घोर छलावा व लोगों को स्पष्टतः इनके मुंह में राम बग़ल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करने वाला ज्यादा लगता है।
उन्होंने कहा कि सपा ने ना केवल मान्यवर कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दगा करके उनके मूवमेन्ट को यूपी में कमज़ोर करने की लगातार कोशिशें कीं हैं, बल्कि बीएसपी सरकार द्वारा 17 अप्रैल सन् 2008 को अलीगढ़ मण्डल के अन्तर्गत कासगंज को ज़िला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नये ज़िला के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया।
इसके अलावा, बहुजनों को शासक वर्ग बनाने के क्रम में यूपी में बी.एस.पी. की सरकार बनाने के उनके अनवरत प्रयास जैसे बेमिसाल योगदान के लिये उनके आदर-सम्मान में मान्यवर कांशीराम के नाम से अन्य और भी जो कई विश्वविद्यालय, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थायें आदि बनाये गये उनमें से भी अधिकतर का नाम सपा सरकार द्वारा बदल दिया जाना इनकी घोर दलित विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा नहीं तो और क्या है?
इतना ही नहीं बल्कि उनके देहान्त होने पर पूरा देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश शोकाकुल था, फिर भी सपा सरकार ने यूपी में एक दिन का भी राजकीय शोक घोषित नहीं किया। इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की तब केन्द्र में रही सरकार ने भी उनके देहान्त पर एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था।
लेकिन फिर भी समय-समय पर संकीर्ण राजनीति व वोटों के स्वार्थ की ख़ातिर सपा व कांग्रेस आदि द्वारा मान्यवर कांशीराम को स्मरण करना विशुद्ध दिखावा व छलावा का प्रयास किया जाता रहा है। इस प्रकार की गलत जातिवादी व संकीर्ण सोच वाली सपा, कांग्रेस आदि पार्टियों से लोग ज़रूर सजग व सावधान रहें।