
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी ‘जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल’ (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का मानना है कि अगर भारत की चेतावनी को मुल्क की हुकूमत गंभीरता से लेती तो आज यह नौबत नहीं आती। पाकिस्तान के खिलाफ किए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से देश में संघीय सरकार के खिलाफ गुस्से की लहर है।
पाकिस्तान के अखबार द नेशन की खबर के अनुसार फजलुर रहमान ने कल इस्लामाबाद में संसद भवन के बाहर संवाददाता सम्मेलन में मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने संघीय सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बढ़ती भारतीय आक्रामकता के सामने सरकार में गंभीरता और तैयारी की कमी है। मौलाना रहमान ने कहा कि मुल्क नाजुक दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि सरकार देश की तैयारियों के बारे में संसद को विश्वास में ले।
उन्होंने संसद सत्र से ‘सरकार’ की अनुपस्थिति पर निराशा व्यक्त की। मौलाना ने कहा कि उम्मीद थी कि संसद में प्रस्ताव पेश किया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रधानमंत्री, विदेशमंत्री और रक्षामंत्री सभी सदन से गायब थे। ऐसे में हम किससे बात करें? कौन सुन रहा है?” उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी ने विरोध स्वरूप संसदीय कार्यवाही का बहिष्कार किया है। उन्होंने कहा कि जब कोई राष्ट्र युद्ध के खतरे का सामना करता है तो केवल सशस्त्र बल ही अग्रिम मोर्चे पर नहीं होते, बल्कि पूरे राष्ट्र को एक साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता पर जोर दिया और आंतरिक अराजकता के प्रति आगाह किया।