Mathura : यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर! कई कॉलोनियों में घुसा पानी, 6300 लोग बाढ़ से प्रभावित

Mathura : यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे खादर क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। कई कॉलोनियों में पानी घुस चुका है और लोग आश्रय स्थलों में शरण लेने को मजबूर हैं। प्रशासन और पुलिस घाटों पर जाने से रोक लगा रहे हैं और राहत कार्य जारी हैं। अन्य इलाकों में भी पानी भरने से स्थिति गंभीर हो गई है।

यमुना का जलस्तर अब काफी तेजी से बढ़ रहा है। खतरे के निशान 166 मीटर से 86 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है। खादर में बनी कॉलोनियों में करीब 200 मीटर तक पानी फैल चुका है, जिससे दो हजार से अधिक मकान बाढ़ की चपेट में हैं। गलियों में तीन से चार फीट तक पानी जमा हो गया है।

शनिवार की सुबह तक, यमुना का जलस्तर 167 मीटर से ऊपर पहुंचने का अनुमान है, जिससे कई घाटों पर पानी पहुंचने और बाजारों में जलभराव की आशंका है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने फ्लड पीएसी और पुलिस बल को यमुना किनारे तैनात किया है, ताकि लोगों को घाटों पर जाने से रोका जा सके।

मंगलवार से लगातार 3.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद से यमुना में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गुरुवार की शाम तक यह खतरे के निशान से 86 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया था, और रातभर में यह और भी ऊपर जाने का अनुमान है। विशेषकर स्वामी घाट, विश्राम, राजा व प्रयाग घाट पर पानी दो फीट से कम रह गया है।

खादर में 200 मीटर तक पानी फैल चुका है और गलियों में तीन से चार फीट पानी भर गया है। लोग अपने सामान समेट कर आश्रय स्थलों या रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं। बिजली आपूर्ति पूरी तरह से काट दी गई है, जिससे क्षेत्र में अंधेरा छाया हुआ है। मौसम और जलस्तर की स्थिति को देखते हुए, दर्जनों लोग अपने मकान छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। यमुना का पानी खादर क्षेत्र को टापू बना रहा है। नगर निगम अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं।

डीएम चंद्र प्रकाश सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार ने विश्राम, बंगाली और राजा घाट का निरीक्षण किया। उन्होंने लोगों से घाटों पर न जाने की अपील की और बैरिकेडिंग का निरीक्षण किया। राहत कार्यों के तहत शेल्टर होम में बाढ़ पीड़ितों को खाना खिलाया गया। वृंदावन के मोदी भवन, गुरुकुल विश्वविद्यालय, मलूक पीठ आश्रम समेत अन्य स्थानों पर भी व्यवस्थाएं देखी गईं। पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और चारे का प्रबंध करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

शेरगढ़ कस्बा व आसपास के गांवों में भी पानी प्रवेश कर गया है। शेरगढ़ में बन भोले बगीची मंदिर और मोक्षधाम में पानी पहुंच गया है। ग्रामीणों के अनुसार, यह बाढ़ 2023 की तुलना में भी भयंकर है। आवागमन बंद है, और लोगों को स्टीमर से गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। पानी की बढ़ती आवक के कारण, क्षेत्र में बिजली काट दी गई है, जिससे लोग रात्रि में मोमबत्ती का प्रयोग कर रहे हैं। मोमबत्ती की बिक्री भी बढ़ गई है।

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