
- माया टीला पर बने छह से सात मकान भरभरा कर गिरे, कई लोग दबे
- प्राचीन टीले पर बने थी पुरानी बसावट, जेसीबी से खोद डाला टीला
Mathura: प्रशासन की अनदेखी के चलते मथुरा में बड़ा हादसा हो गया। कच्ची सडक स्थित प्राचीन टीले के ऊपर पुरानी बसावट में से आधा दर्जन से अधिक मकान भरभरा कर गिर पड़े। खबर लिखे जाने तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी।
मलबे में दबकर तीन और छह साल की दो सगी बहनों समेत तीन लोगों की मृत्यु हो गई। आठ से अधिक लोग घायल हो गए। जिनको जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिला प्रशासन मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में जुटा रहा। राहत और बचाव दल लगातार लोगों को मिट्टी के नीचे से निकालने के लिए ऑपरेशन चलाए हुए थे। मिट्टी में एक दर्जन के करीब लोगों के दबने की बात की जा रही थी। जेसीबी से सावधानी पूर्वक मलबे को हटाया जा रहा था।
मिट्टी में दबे हुए लोगों में वहां के स्थानीय निवासी और काम कर रहे मजदूर बताये जा रहे हैं। रविवार की दोपहर करीब 12 बजे यह हादसा मिट्टी खुदाई के दौरान हुआ। चार बजे तक तीन शव मिट्टी से निकाले जा चुके थे। बताया जा रहा है कि प्लाटिंग के लिए इस टीले को जीसीबी मशीनों की मदद से समतल किया जा रहा था। हादसे की सूचना पर जिलाधिकारी सीपी सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार, एसपी सिटी, नगर आयुक्त, नगर निगम की टीम, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गये।
घटना से लोगों में नाराजगी थी, जिस तरह से मिट्टी को जेसीबी मशीनों की मदद से खोदा जा रहा था और उपर मकान बने हुए थे, इससे घटना के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन को लोग सीधे तौर पर जिम्मेदार मान रहे थे। जिलाधिकारी खुद मौके पर माइक से आवाज लगाकर लोगों को धैर्य रखने और शांति बनाए रखने की लगातार अपील कर रहे थे। भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद था। स्थानीय विधायक और पूर्व उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी मौके पर पहुंच गये।
उन्हें भी लोगों की नाराजगी का सामना करना पडा। स्थानीय लोग कई तरह के आरोप इस दौरान लगाते रहे। लोगों का कहना था कि इस तरह जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए थी। यह हादसा अब न हुआ होता तो बरसात होने पर जरूर होता और इससे भी भयावह होता। लोगों ने बताया कि जब हादसा हुआ तो ऐसा लगा कि भूकंप आया है, किसी को भागने तक का मौका नहीं मिला। अभी तक मृतकों की पहचान 38 वर्षीय तोताराम, छह वर्षीय यशोदा और तीन वर्षीय कव्या के रूप में हुई है। ये दोनों बच्ची वृंदावन के गौतमपाड़ा निवासी मोहन लाल की बेटियां हैं और यहां अपने ननिहाल आई थीं।
इस दौरान चार लोगों को मलबे से निकाला गया था जिनमें से तीन को मृत घोषित कर दिया गया। बताया जा रहा था कि अभी सात से आठ लोग और मिट्टी में दबे हुए हो सकते हैं।
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