Mathura : बांके बिहारी बालभोग मुद्दा हलवाई को पैसे नहीं, भगवान को भोग नहीं, मंदिर प्रबंधन पर गंभीर आरोप

  • भुगतान न मिलने से रुका बालभोग

Mathura : वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में सोमवार को एक अभूतपूर्व स्थिति देखने को मिली, जब पहली बार भगवान को समय से बालभोग अर्पित नहीं किया जा सका। मंदिर की हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी द्वारा तय किए गए हलवाई को समय पर भुगतान न मिलने के कारण बालभोग तैयार नहीं हो सका। बाद में कमेटी सदस्य के हस्तक्षेप के बाद हलवाई ने भोग बनाया, जिसे करीब डेढ़ घंटे की देरी से भगवान को अर्पित किया गया।

दर्शन से पहले लगता है बालभोग

मंदिर परंपरा के अनुसार भगवान बांके बिहारी जी को प्रतिदिन तीन बार भोग अर्पित किया जाता है। मंदिर खुलने से पहले श्रृंगार के उपरांत बालभोग लगाया जाता है, जिसमें दो मिठाइयां और दो नमकीन शामिल होते हैं। इसके बाद दोपहर में राजभोग और रात को शयन भोग अर्पित किया जाता है।

सोमवार को तय समय से डेढ़ घंटे की देरी

सर्दियों में सामान्यतः बालभोग सुबह करीब साढ़े आठ बजे अर्पित किया जाता है, लेकिन सोमवार को यह भोग लगभग दस बजे भगवान को चढ़ाया गया। मंदिर के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब समय से बालभोग नहीं लगाया जा सका, जिससे श्रद्धालुओं में यह चर्चा का विषय बन गया।

हलवाई को 1450 रुपये प्रतिदिन भुगतान तय

हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी के गठन के बाद भोग निर्माण के लिए एक हलवाई तय किया गया था, जिसे प्रतिदिन 1450 रुपये का भुगतान किया जाना था। कमेटी सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि कई बार भुगतान के लिए कहा गया, लेकिन पैसा नहीं मिला, क्योंकि कमेटी की “मानक प्रक्रिया” अलग है।

प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप

मंदिर के पास करोड़ों रुपये का खजाना होने के बावजूद भगवान को समय पर बालभोग न लग पाना प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। श्रद्धालुओं का कहना है कि इतनी बड़ी लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

अन्य विवाद भी गरमाए

इधर, जगमोहन से कटघरे हटाने और प्रवेश प्रतिबंध के मामले को लेकर सेवायतों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े एक के बाद एक विवादों ने हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें