Mathura : बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में आरोपी को मिला मृत्युदंड, मां बोली- ‘पति और बेटी को मिला न्याय’

Mathura : वृंदावन क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले दलित परिवार की आठ वर्षीय बच्ची 26 नवंबर 2020 की शाम चार बजे घर से लकड़ी लेने के लिए पास के जंगल में गई थी। देर रात तक जब बच्ची वापस नहीं लौटी तो स्वजन ने उसकी तलाश शुरू की। पिता ने वृंदावन थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई।

पुलिस ने खोजबीन के दौरान 27 नवंबर को सुनरख के जंगल में नाले के पास बच्ची का शव पाया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बालिका के साथ दुष्कर्म और गला घोंटकर हत्या करने की पुष्टि हुई।

दलित बच्ची से दुष्कर्म कर हत्या करने वाले को मंगलवार को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई है। एडीजे द्वितीय अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश ब्रिजेश कुमार ने दोषी पर 3.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आरोपित गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में बंद है। यह घटना लगभग पांच वर्ष पुरानी है।

पिछले करीब पौने पांच वर्षों में, इस मामले की सुनवाई में करीब 112 तारीखें लगीं। एक न्यायाधीश का तबादला हो गया था, जिसके कारण फैसला देर से आया। दूसरे न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी करार देते हुए, उसे प्राणदंड सुनाया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी और विशेष लोक अभियोजक रामपाल सिंह ने पैरवी की।

रामपाल सिंह ने बताया कि अदालत ने महेश उर्फ मसुआ को, जो ग्राम तरौली सुमाली थाना छाता का निवासी है, बालिका के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या का दोषी माना है, और उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। साथ ही, उस पर 3.20 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

पौने पांच वर्षों पहले हुई इस घटना के बाद, जबकि आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई, परिवार को इसकी जानकारी नहीं थी। जब फैसला पता चला, तो मां की आंखें छलक उठीं। उन्होंने कहा कि गरीबी के कारण वह कोर्ट में पैरवी नहीं कर सकीं। बेटी के साथ हुई इस दर्दनाक घटना और सदमे में जाने से उनके पति का निधन हो गया। अदालत के इस फैसले से उनकी बेटी और पति की आत्मा को शांति मिलेगी।

वर्ष 2020 में, वह बेटी आठ वर्ष की थी और कक्षा दो में पढ़ती थी। वह पढ़ाई में बहुत ही होशियार थी। परिवार ने बताया कि एक घटना ने उनके पूरे जीवन को बदल कर रख दिया। बेटी की मृत्यु के बाद, उनके पति सदमे में आकर चल बसे। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। किराए के एक कमरे से प्राप्त आय से वह अपने दो बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। बेटी कक्षा तीन और बेटा एलकेजी में पढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनकी बेटी और पति की आत्मा को शांति मिलेगी।

इस मामले में, पौने पांच वर्षों में लगभग 112 तारीखें लगीं। एक न्यायाधीश का तबादला हो गया था, जिसके कारण सुनवाई देर से पूरी हुई। दूसरे न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी करार देते हुए, उसे फांसी की सजा सुनाई। मामले की सुनवाई के दौरान, सरकारी वकीलों ने अभियोजन पक्ष का पक्ष मजबूत ढंग से रखा, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।

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